iGrain India - नई दिल्ली । तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने 0.88 बिलियन लीटर एथनॉल की आपूर्ति के लिए 2024-25 के मार्केटिंग सीजन का अपना दूसरा टेंडर जारी करते हुए पहली बार कहा है कि सहकारी क्षेत्र की चीनी मिलों में निर्मित एथनॉल को प्राथमिकता दी जाएगी।
इससे पूर्व प्रथम टेंडर में इन कंपनियों को 9.16 अरब डॉलर एथनॉल की आपूर्ति का बिड प्राप्त हुआ था जिसमें से 8.37 अरब लीटर के बिड को स्वीकार किया गया।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार पिछले पांच वित्त वर्ष के दौरान थोक मूल्य सूचकांक में 24.3 प्रतिशत तथा खाद्य मूल्य सूचकांक में 21.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई।
इस अवधि के दौरान गन्ना के दाम में 26 प्रतिशत का इजाफा हुआ जबकि चीनी का भाव केवल 13 प्रतिशत बढ़ सका। यह विरोधाभासी संकेत है।
आमतौर पर कच्चे माल की तुलना में तैयार उत्पाद का दाम ज्यादा तेजी से बढ़ता है मगर गन्ना और चीनी के मामले में स्थिति विपरीत रही।
जहां तक सह उत्पादों का सवाल है तो इस पांच वर्ष की अवधि के दौरान शीरा का भाव 45.7 प्रतिशत उछल गया जिसका प्रमुख कारण एथनॉल निर्माण में इसका उपयोग तेजी से बढ़ता रहा।
इसी तरह गुड़ की कीमतों में 16.2 प्रतिशत, गन्ना की लुगदी (खोई) के दाम में 2 प्रतिशत तथा शुगर कन्फैक्शनरी के मूल्य में 4.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई।
इस्मा ने चीनी के लागत खर्च में हुई जबरदस्त बढ़ोत्तरी को देखते हुए सरकार से इसका एक्स फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 39 रुपए प्रति किलो नियत करने का आग्रह किया है।
पिछले पांच वर्षों से इसमें कोई इजाफा नहीं हुआ है। इसके अलावा गन्ना से निर्मित एथनॉल का खरीद मूल्य भी बढ़ाने की मांग की जा रही है।