iGrain India - मुम्बई । स्वदेशी वनस्पति तेल-तिलहन उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के एक अग्रणी संगठन- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के केन्द्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से भारी मात्रा में सोयाबीन की खरीद करने और उसका बफर स्टॉक बनाने का आग्रह किया है ताकि बाढ़ में उसे क्रशिंग-प्रोसेसिंग इकाइयों को उचित दाम पर उपलब्ध करवाया जा सके और किसानों को भी उसके उत्पाद का सही मूल्य प्राप्त हो सके।
सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के 4600 रुपए से बढ़ाकर इस बार 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जबकि इसका थोक मंडी भाव इससे बहुत नीचे चल रहा है जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री के साथ हाल ही में हुई एक मीटिंग में एसोसिएशन ने कहा था कि सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह किसानों से अधिक से अधिक मात्रा में सोयाबीन खरीद कर इसका स्टॉक बनाए।
एसोसिएशन के अध्यक्ष के अनुसार सोयाबीन उत्पादकों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इसका बाजार भाव सरकारी समर्थन मूल्य से बहुत नीचे चल रहा है।
कई क्षेत्रों में किसानों को 4200-4300 रुपए प्रति क्विंटल की दर से अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
सरकार ने तिलहनों का बाजार भाव ऊंचा उठाने के लिए खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20 प्रतिशत बिंदु की बढ़ोत्तरी की थी लेकिन इसका कोई सार्थक नतीजा सामने नहीं आया।
हालांकि कृषि मंत्री ने पहले किसानों की सहायता के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की सम्पूर्ण आवक (मात्रा) की खरीद करने की घोषणा की थी लेकिन बाजार हस्तक्षेप योजना में देर होने से किसान हतोत्साहित हो सकते हैं।
इस वर्ष विभिन्न राज्यों में 30 लाख टन से अधिक सोयाबीन खरीद की अनुमति दी गई है मगर वास्तविक खरीद 5 लाख टन से कुछ ऊपर पहुंच सकी है। सोयाबीन की आपूर्ति का पीक सीजन अक्टूबर से दिसम्बर के बीच माना जाता है।