iGrain India - नई दिल्ली । पिछले कई वर्षों में पहली बार चीनी का घरेलू उत्पादन घटकर 300 लाख टन से नीचे आने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि सरकार ने 320 लाख टन चीनी के उत्पादन की संभावना व्यक्त की है मगर इसमें से 40 लाख टन का उपयोग एथनॉल निर्माण में होने की उम्मीद है जिससे खाद्य उद्देश्य के लिए 280 लाख टन का ही स्टॉक बचेगा।
सहकारी चीनी मिलों के अग्रणी संगठन- नेशनल फेडरशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज ने भी 280 लाख टन चीनी के उत्पादन की संभावना व्यक्त की है जबकि एक उद्योग विश्लेषक का मानना है कि कुल उत्पादन 270 लाख टन के आसपास सिमट सकता है।
चीनी की घरेलू मांग एवं खपत बढ़ती जा रही है। 2024-25 के सीजन में यह 290 लाख टन से कुछ ज्यादा हो सकती है। इसके मुकाबले उत्पादन 10-20 लाख टन कम हो सकता है।
उद्योग के पास इतना अधिशेष स्टॉक है इसलिए घरेलू मांग को पूरा करने में ज्यादा कठिनाई नहीं होनी चाहिए। लेकिन इतना आवश्यक कहा जा सकता है कि चीनी की मांग और आपूर्ति के बीच का समीकरण जटिल रह सकता है।
यह ध्यान रखना भी आवश्यक होगा कि उद्योग के पास चालू मार्केटिंग सीजन के अंत में चीनी का इतना बकाया अधिशेष स्टॉक जरूर होना चाहिए जो अगले सीजन के शुरूआती दो-ढाई महीनों की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हो।
इसके अलावा वर्ष 2025 में दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश पर भी नजर रखनी होगी। चालू सीजन की समाप्ति पर उद्योग के पास चीनी का नया-तुला स्टॉक बचने की संभावना है।
ऐसी हालत में यदि अगले सीजन के दौरान उत्पादन में बढ़ोत्तरी नहीं हुई तो आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति बेहद जटिल हो सकती है।
यही कारण है कि केन्द्र सरकार फिलहाल चीनी के निर्यात की अनुमति देने के मूड में नहीं है जबकि उद्योग 10-20 लाख टन के शिपमेंट की स्वीकृति देने का आग्रह कर रहा है।