iGrain India - नई दिल्ली । वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केन्द्र सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच जाने की संभावना है जो बजट अनुमान से करीब 20,000 करोड़ रुपए तथा वित्त वर्ष 2023-24 की संशोधित खाद्य सब्सिडी से 13,000 करोड़ रुपए ज्यादा है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार खाद्य सब्सिडी बिल में होने वाली इस भारी बढ़ोत्तरी का प्रमुख कारण चावल के विशाल स्टॉक के भंडारण एवं रख रखाव का खर्च ज्यादा बढ़ना है।
इसके अलावा गेहूं तथा धान के न्यूनतम समर्थन (एमएसपी) से होने वाली वृद्धि भी इसका एक महत्वपूर्ण कारण है।
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने 2024-25 के वित्त वर्ष हेतु केन्द्रीय आम बजट में 2.04 लाख करोड़ रुपए की खाद्य सब्सिडी का अनुमान लगाया था और इसके 75 प्रतिशत से अधिक की राशि अब तक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा उन राज्यों के लिए जारी की जा चुकी है जहां खाद्यान्न खरीद के लिए विकेन्द्रीकृत पद्धति लागू है।
अधिकारियों का कहना है कि अगर चावल के विशाल सरकारी स्टॉक में यथाशीघ्र अपेक्षित कमी नहीं आई तो वित्त मंत्री को 2025-26 के केन्द्रीय आम बजट में खाद्य सब्सिडी का अनुमानित आवंटन और भी बढ़ाना पड़ेगा। दरअसल पैकिंग, परिवहन एवं भंडारण का खर्च लगातार तेजी से बढ़ता जा रहा है जिससे खाद्य सब्सिडी में वृद्धि हो रही है।
वित्त मंत्रालय पिछले कुछ वर्षों से खास सब्सिडी की राशि को सही समय पर जारी कर रहा है ताकि खाद्य निगम को अल्पकालीन ऋण लेने के लिए विवश न होना पड़े।
बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से किए जाने वाले इस खर्च पर उसे भारी-भरकम ब्याज अदा करना पड़ता है। इसके साथ-साथ खाद्य निगम एवं प्रांतीय एजेंसियों के लिए नकद ऋण सीमा को सुनिश्चित करने हेतु भी सही समय पर बजट आवंटन की निकासी आवश्यक होती है।
वर्तमान समय में खाद्य निगम के पास 586.20 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद है जिसमें 282.20 लाख टन का प्रत्यक्ष स्टॉक तथा 304 लाख टन चावल के समतुल्य धान का स्टॉक शामिल है।