iGrain India - कोलकाता । भारत के तीनों पड़ोसी देश- उत्तर में नेपाल, दक्षिण में श्रीलका तथा पूरब में बांग्ला देश को चावल की भारी मात्रा के आयात की आवश्यकता महसूस हो रही है और इसके प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश के रूप में भारत इन देशों की पहली प्राथमिकता बना हुआ है।
चावल का यह आयात-निर्यात का कारोबार सभी पक्षों के लिए लाभदायक साबित हो रहा है। भारत में शानदार उत्पादन के कारण चावल का भरपूर निर्यात योग्य स्टॉक उपलब्ध है और सरकारी गोदाम भी भरे हुए हैं।
इसके अलावा भारतीय चावल का निर्यात ऑफर मूल्य प्रतिस्पर्धी स्तर पर बना हुआ है और बांग्ला देश तथा नेपाल को भारत से सड़क मार्ग से चावल भेजना संभव है जबकि श्रीलका को जल मार्ग से इसका निर्यात हो रहा है।
बांग्ला देश और श्रीलंका की सरकार ने चावल के आयात पर लगे नियंत्रणों- प्रतिबंधों एवं सीमा शुल्क को समाप्त कर दिया है ताकि प्राइवेट आयातक भारत से अधिक से अधिक मात्रा में इसे मंगा सके।
बांग्ला देश में तो प्राइवेट व्यापारियों को 16 लाख टन तक चावल के आयात का परमिट जारी किए जाने की सूचना मिल रही है जबकि सरकार भी 3 लाख टन चावल मंगा रही है। इसमें 2 लाख टन की प्रत्यक्ष खरीद एवं 1 लाख टन की टेंडर के जरिए खरीद शामिल है।
बांग्ला देश में म्यांमार, वियतनाम एवं पाकिस्तान से भी चावल के आयात का प्रयास किया जा रहा है। नेपाल में चालू वित्त वर्ष के शुरूआती पांच महीनों में 1.65 लाख टन चावल का आयात किया गया।
श्रीलंका सरकार ने चावल के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा 20 जनवरी 2025 तक बढ़ाने का फैसला किया है जबकि वहां पहले ही भारत से 70 हजार टन चावल मंगाया जा चुका है। इन देशों में गैर बासमती चावल का आयात हो रहा है।