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एथनॉल निर्माण में बढ़ती मांग से मक्का का भाव ऊंचा- पॉल्ट्री उद्योग की चिंता बढ़ी

प्रकाशित 03/01/2025, 05:40 pm
एथनॉल निर्माण में बढ़ती मांग से मक्का का भाव ऊंचा- पॉल्ट्री उद्योग की चिंता बढ़ी
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iGrain India - मुम्बई । भारतीय पॉल्ट्री उद्योग को फिलहाल विभिन्न चुनौतियों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिसमें एक तरफ बीड (खासकर मक्का) का खर्च तेजी से बढ़ता जा रहा है तो दूसरी ओर अनेक नियामक बाधाएं मौजूद हो गई हैं।

एक अग्रणी संगठन पॉल्ट्री इंडिया के अध्यक्ष का कहना है कि पॉल्ट्री उद्योग को विभिन्न मोर्चे पर सरकार के सक्रिय सहयोग-समर्थन की आवश्यकता है।

मक्का पॉल्ट्री उद्योग के लिए प्राथमिक एवं प्रमुख कच्चा माल (फीड) है लेकिन एथनॉल निर्माण के लिए इसकी मांग तेजी से बढ़ती जा रही है जिससे अन्य क्षेत्रों के लिए इसकी सीमित आपूर्ति हो रही है और इसका बाजार भाव भी ऊंचा हो गया है।

इससे पॉल्ट्री उद्योग में लागत खर्च बढ़ता जा रहा है। किसान अब एथनॉल निर्माताओं को अपना मक्का बेचने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। 

अध्यक्ष का कहना था कि पॉल्ट्री उद्योग की मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए मक्का के घरेलू उत्पादन में दोगुनी बढ़ोत्तरी करने की आवश्यकता है। फिलहाल इसके कोई ठोस संकेत नहीं मिल रहे हैं।

जब तक उत्पादन बढ़कर अपेक्षित स्तर पर नहीं पहुंच जाता तब तक सरकार को मक्का एवं सोयाबीन के शुल्क मुक्त एवं नियंत्रण मुक्त आयात की अनुमति देनी चाहिए।

पॉल्ट्री इंडिया के अध्यक्ष ने कहा है कि मक्का तथा सोया के दाम में प्रति वर्ष 2.3 प्रतिशत का इजाफा हो जाता है। सरकार इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी करती है।

अब सरकार का ध्यान पॉल्ट्री क्षेत्र के बजाए एथनॉल उद्योग पर केन्द्रीत हो गया है। मक्का एवं सोयाबीन की मांग आगामी समय में तेजी से बढ़ने के आसार हैं इसलिए इसका बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए।

बेशक इसके लिए प्रयास हो रहा है मगर अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहा है। इसे देखते हुए सरकार को कुछ ओर नीतिगत सहयोग-समर्थन एवं प्रोत्साहन उपलब्ध करवाने का निर्णय लेना चाहिए। 

घरेलू पैदावार में स्थिर पैदावार एवं बढ़ती मांग के कारण मक्का का निर्यात लगभग ठप्प पड़ता जा रहा है। एथनॉल निर्माता न्यूनतम समर्थन मूल्य (2225 रुपए प्रति क्विंटल) से भी ऊंचे दाम पर मक्का खरीदने का प्रयास कर रहे हैं जिससे पॉल्ट्री एवं स्टार्च निर्माण उद्योग को भारी कठिनाई होने लगी है और उसे अपने उत्पादों का दाम बढ़ाने के लिए विवश होना पड़ रहा है।  

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