iGrain India - मुम्बई । उद्योग व्यापार क्षेत्र के विश्लेषकों ने नवम्बर की तुलना में दिसम्बर 2024 के दौरान भारत में खाद्य तेलों का कुल आयात करीब 25 प्रतिशत घटकर 11.90 लाख टन पर सिमट जाने का अनुमान लगाया है जो तीन माह का न्यूनतम स्तर है। इसके तहत पाम तेल एवं सूरजमुखी तेल के आयात में भारी गिरावट आने और सोयाबीन तेल के आयात में थोड़ी वृद्धि होने की संभावना व्यक्त की गई है।
विश्लेषको के मुताबिक नवम्बर के मुकाबले दिसम्बर में पाम तेल का आयात 40 प्रतिशत लुढ़ककर 5.03 लाख टन पर अटकने का अनुमान है जो पिछले नौ महीनों में सबसे कम है।
इसी तरह सूरजमुखी तेल का आयात 22 प्रतिशत घटकर 2.65 लाख टन पर सिमटने की संभावना जताई गई है जबकि दूसरी ओर सोयाबीन तेल का आयात 3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 4.20 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है जो गत चार महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है।
डीलर्स के अनुसार पाम तेल का भाव निर्यातक देशों में बढ़कर गत ढाई साल के शीर्ष स्तर पर पहुंचने का कारण भारतीय आयातकों को सोयाबीन तेल की खरीदारी बढ़ाने का प्रोत्साहन मिला क्योंकि वह अपेक्षाकृत नीचे दाम पर उपलब्ध था। भारत दुनिया का सबसे प्रमुख खाद्य तेल आयातक देश है।
यहां पाम तेल के आयात में भारी गिरावट आने से मलेशियाई पाम तेल के बेंचमार्क वायदा मूल्य में नरमी आने तथा अमरीका में सोयाबीन तेल के वायदा भाव को सहारा मिलने की संभावना है।
एक अग्रणी विश्लेषक के अनुसार नवम्बर तथा दिसम्बर में पाम तेल एवं सोयाबीन तेल के बीच मूल्यान्तर और भी बढ़ गया। आमतौर पर पाम तेल का भाव सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल से काफी नीचे रहता है लेकिन पिछले कुछ महीनों से ऊपर चल रहा है।
इंडोनेशिया एवं मलेशिया में पाम तेल का स्टॉक घट रहा है जबकि दूसरी ओर प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देशों में सोया तेल तथा सूरजमुखी तेल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है जिससे उसकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है।
सोया तेल की तुलना में पाम तेल का भाव 100 डॉलर प्रति टन से भी ऊंचा चल रहा है जिससे भारतीय आयातकों को जनवरी 2025 में भी पाम तेल का आयात घटाने का प्रोत्साहन मिल सकता है।
उपरोक्त आंकड़े उद्योग-व्यापार क्षेत्र के डीलर्स-विश्लेषक के है जबकि एक अग्रणी उद्योग संगठन-सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) की रिपोर्ट मध्य जनवरी में सामने आएगी जिसमें दिसम्बर 2024 के दौरान खाद्य तेलों के आयात का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जाएगा।