iGrain India - जकार्ता । इंडोनेशिया सरकार का इरादा वर्ष 2026 तक बायोडीजल निर्माण में पाम तेल के उपयोग का स्तर बढ़ाकर 50 प्रतिशत निर्धारित करने का है।
इससे वहां खाद्य उद्देश्य के लिए पाम तेल की आपूर्ति एवं उपलब्धता में कमी आने तथा निर्यात की मात्रा घटने की संभावना बढ़ जाएगी। इसका असर खाद्य तेल के वैश्विक बाजार भाव पर पड़ेगा और उसमें कुछ तेजी आ सकती है।
इंडोनेशिया के ऊर्जा एवं खनिज संसाधन मंत्री ने पिछले सप्ताह वर्ष 2025 में वितरण के लिए 156 लाख किलो मीटर बायोडीजल के आवंटन की एक डिक्री (सरकारी आदेश) पर हस्ताक्षर कर दिया।
इसके साथ ही उन्होंने बायोडीजल निर्माण उद्योग को पाम तेल के उपयोग की बढ़ाई गई मात्रा का नियम लागू करने के लिए दो माह का समय भी दिया। इसका मतलब यह हुआ कि फरवरी 2025 के अंत तक उद्योग को 40 प्रतिशत पाम तेल का उपयोग करना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि दुनिया में पाम तेल के सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- इंडोनेशिया में 1 जनवरी 2025 से बायो डीजल निर्माण में 40 प्रतिशत खाद्य तेल (मुख्यत: पाम तेल) के उपयोग का अनिवार्य नियम लागू हो गया है जो वर्ष 2024 के 35 प्रतिशत से 5 प्रतिशत बिंदु ज्यादा है।
लेकिन उद्योग को इस नियम को अपनाने के लिए दो माह का टाइम दिया गया है। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो अगले साल यानी वर्ष 2026 में वहां पाम तेल के उपयोग का स्तर 10 प्रतिशत बिंदु बढ़कर 50 प्रतिशत पर नियत किया जा सकता है।
इंडोनेशिया पाम ऑयल एसोसिएशन (गापकी) ने आगाह किया है कि बायोडीजल में खाद्य तेलों के उपयोग के बढ़ाए जा रहे स्तर के अनुरूप यदि क्रूड पाम तेल (सीपीओ) के घरेलू उत्पादन में इजाफा नहीं हुआ तो पाम तेल के निर्यात में भारी गिरावट आ सकती है। वैसे इंडोनेशिया सरकार अब सीपीओ के बजाए प्रोसेस्ड पाम तेल का निर्यात बढ़ाने पर विशेष जोर दे रही है।