iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा गेहूं पर स्टॉक सीमा लगाने का जो आदेश जारी किया गया है, रोलर फ्लोर मिलर्स ने आमतौर पर उसका स्वागत किया है।
मिलर्स का कहना है कि इससे मंडियों में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में नरमी आएगी।
यूपी रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिशन के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद वैश ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे उत्तर प्रदेश में गेहूं के दाम पर दबाव पड़ेगा।
राज्य में गेहूं का भाव बढ़कर 2400 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया जिसमें अब 100-125 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आने की उम्मीद की जा सकती है।
किसानों को अपना गेहूं बेचने के लिए खरीदारों की तलाश करनी पड़ेगी क्योंकि स्टॉकिस्ट भी अब 3 हजार टन से ज्यादा गेहूं का स्टॉक नहीं रख सकते हैं।
इसी तरह तमिलनाडु रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय आनंद ने सरकारी घोषणा का स्वागत करते हुए कहा है कि मांग एवं आपूर्ति में असंतुलन के कारण गेहूं का भाव तेज नहीं हो रहा है बल्कि कुछ राज्यों में स्टॉक रोके जाने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
सरकारी खरीद भी 262 लाख टन तक ही पहुंची है जबकि पीडीएस सहित कई अन्य कल्याणकारी योजनाओं / कार्यक्रमों के लिए सरकार को विशाल मात्रा में गेहूं की आपूर्ति करनी पड़ती है। उत्तर प्रदेश गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है मगर वहां इसकी सरकारी खरीद नगण्य हुई है। उसका शेष गेहूं आखिर कहां गया।
व्हीट प्रॉडक्ट्स प्रोमोशन सोसायटी के चेयरमैन एवं शिवाजी रोलर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय गोयल ने भी सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि मंडियों में मांग के अनुरूप गेहूं की आपूर्ति होनी आवश्यक है ताकि इसकी कीमतों में स्थिरता बरकरार रहे।
अभी खरीद का सीजन ठीक से समाप्त भी नहीं हुआ और गेहूं का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी ऊपर पहुंच गया। इससे गेहूं उत्पादों और खासकर आटा का दाम बढ़ने लगा है जिससे आम उपभोक्ताओं की कठिनाई बढ़ गई है।
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