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दाल-दलहन पर भंडारण सीमा को सख्ती से लागू करने का हो रहा प्रयास

प्रकाशित 14/06/2023, 11:05 am
दाल-दलहन पर भंडारण सीमा को सख्ती से लागू करने का हो रहा प्रयास
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iGrain India - दाल-दलहन पर भंडारण सीमा को सख्ती से लागू करने का हो रहा प्रयास 

नई दिल्ली । खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा लगातार आवश्यक एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत 12 जून को गेहूं पर 31 मार्च 2024 तक के लिए स्टॉक लीमिट लागू की गई जबकि जून के आरंभ में दाल-दलहनों पर भंडारण सीमा लगाने की घोषणा की गई थी।

इस भंडारण सीमा के निर्णय को सख्ती से लागू करवाने के लिए राज्य सरकारों के साथ बातचीत की जा रही है। सीमा के निर्णय को सख्ती से लागू करवाने के लिए राज्य सरकारों के साथ बातचीत की जा रही है।

इस सम्बन्ध में आज यानी 14 जून को राज्यों के साथ विचार-विमर्श किए जाने की संभावना है। दाल-दलहन के संवर्ग में केवल अरहर (तुवर) एवं उड़द का भाव अप्रत्याशित रूप से तेज हुआ है जबकि चना, मसूर, मूंग एवं मटर आदि का दाम काफी हद तक नियंत्रण में है।

समझा जाता है कि सरकार के पास चना का अत्यन्त विशाल स्टॉक मौजूद है मगर इसकी निकासी (बिक्री) नहीं हो पा रही है। इसे देखते हुए सरकार चना एवं इसकी दाल की खपत बढ़ाने पर विशेष जोर दे रही है मगर राज्य सरकारें इसकी खरीद के प्रति ज्यादा गंभीर नहीं दिखाई  देती है।

सरकार का मानना है कि चना दाल की खपत बढ़ने पर तुवर एवं उड़द दाल की खपत में कमी आएगी और इस पर भार घटने से इसके दाम में नरमी आएगी। केन्द्र सरकार दूसरी तरफ उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए राज्यों पर दबाव डालना चाहती है जिसमें तुवर एवं उड़द का भारी-भरकम स्टॉक रोक रखा है और बाजार में इसका कृत्रिम अभाव उत्पन्न कर दिया है।

ध्यान देने की बात है कि पिछले सप्ताह सरकार ने तुवर एवं उड़द पर अक्टूबर 2023 तक के लिए भंडारण सीमा लगाने का निर्णय लिया था और थोक विक्रेताओं, खुदरा, कारोबारियों आयातकों एवं मिलर्स-प्रोसेसर्स के लिए इसकी उच्चतम स्टॉक सीमा भी निर्धारित कर दी थी।

इसके साथ ही विदेशों से तुवर एवं उड़द मंगाने वाले आयातकों को निर्देश दिया गया था कि बंदरगाहों पर आई खेप को क्लीयरेंस मिलने के बाद वे उसे एक माह से अधिक समय तक अपने पास न रखें और इसको बेच दें। सरकार अरहर, उड़द एवं मसूर के शुल्क मुक्त तथा नियंत्रण मुक्त आयात की समयावधि पहले ही बढ़ा चुकी है। 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार तुवर-दाल का औसत खुदरा मूल्य गत वर्ष के 103.25 रुपए प्रति किलो से उछलकर अब 122.68 रुपए प्रति किलो तथा उड़द दाल का खुदरा भाव 105.05 रुपए प्रति किलो से सुधरकर 110.58 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है।

थोक मंडियों में भी तुवर एवं उड़द की कीमतों में तेजी का माहौल बना हुआ है। कर्नाटक एवं महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों के साथ अन्य प्रांतों में भी तुवर एवं उड़द की आपूर्ति कम हो रही है जबकि मांग में कोई कमी नहीं आई है।

केन्द्र सरकार चाहती है कि राज्यों में मिड डे मील योजना के तहत अरहर दाल के बजाए चना दाल का उपयोग बढ़ाया जाए लेकिन इस पर सहमति नहीं बन रही है। आज की संभावित बैठक में राज्यों को इसके लिए राजी करने का प्रयास किया जा सकता है। आयातकों पर दबाव डालने के मुद्दे पर भी बातचीत हो सकती है।      

                                                                                   

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