iGrain India - कीव । रूस के साथ पिछले साल से ही भयंकर युद्ध में उलझा यूक्रेन अपने अपने कृषि उत्पादों और खासकर गेहूं तथा सूरजमुखी तेल का निर्यात बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
उसकी आक्रामक निर्यात नीति के कारण सूरजमुखी तेल के दाम में जबरदस्त गिरावट आ गई है भारतीय आयातक भारी मात्रा में इसकी खरीद कर रहे हैं।
यूक्रेन में सूरजमुखी की नई फसल का मार्केटिंग अगले महीने से आरंभ होने वाला है इसलिए वह पुराने स्टॉक को जल्दी से जल्दी निपटाना चाहता है।
यूक्रेन गेहूं का निर्यात बढ़ाने का भी भरपूर प्रयास कर रहा है। वैश्विक बाजार में भारी मात्रा में इसे खपाया जा रहा है जिससे भारत में भी गेहूं के दाम पर इसका कुछ असर पड़ने की संभावना है।
वैसे भारत सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि तमाम कलयाणकारी योजना में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय पूल में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और विदेशों से इसके आयात की किसी भी संभावना पर विचार नहीं किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दो महीनों के अंदर घरेलू बाजार में गेहूं का भाव करीब 10 प्रतिशत बढ़ने से चिंतित सरकार ने 12 जून को इस पर भंडारण सीमा लगाने की घोषणा कर दी। इससे गेहूं के दाम में गिरावट आने की उम्मीद की जा रही है।
हाल के वर्षों में यूक्रेन से गेहूं के निर्यात में भारी बढ़ोत्तरी हुई है और अब वह दुनिया में इसके शीर्ष निर्यातक देशों की सूची में शामिल हो चुका है। उसके पास अब भी गेहूं का विशालकाय निर्यात योग्य अधिशेष स्टॉक मौजूद है जबकि अगले महीने से इसके नए माल की आवक शुरू होने की संभावना है। यूक्रेन में कृषि फसलों के लिए नया मार्केटिंग सीजन जुलाई में आरंभ होता है जो अगले साल जून तक जारी रहता है।
लेकिन उसके साथ यह समस्या है कि एक तरफ यूरोपीय आयोग ने पांच पड़ोसी देशों में यूक्रेन से चार महत्वपूर्ण कृषि उत्पादों का निर्यात रोक दिया है जो प्राय: सड़क या रेलमार्ग से अथवा डेन्यूब नदी पर स्थित छोटे छोटे बंदरगाहों से हो रहा था और दूसरी ओर रूस ने कालासागर क्षेत्र के बंदरगाहों को घेर रखा है।
वह यूक्रेन को सीमित मात्रा खाद्यान्न एवं अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात शिपमेंट की अनुमति दे रहा है जबकि इसके लिए छोटी-छोटी अवधि की समयसीमा निर्धारित कर रहा है। 18 मई को दो माह के लिए समयावधि बढ़ाई गई जो 18 जुलाई वैध रहेगी।
इसके बार रूस समय को आगे बढ़ाएगा या नहीं-कहना मुश्किल है। यही कारण है कि यूक्रेन के उत्पादक एवं निर्यातक कीमत घटाकर गेहूं का निर्यात बढ़ाने की जोरदार कोशिश कर रहे हैं ताकि पिछले स्टॉक के अधिकांश भाग का विस्तारण संभव हो सके।