iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए एक के बाद एक नए-नए कदम उठा रही है। जून के आरंभ में दाल-दलहन पर स्टॉक सीमा को सख्ती से लागू करने की घोषणा की गई और 14 जून को इस मामले में राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मीटिंग में उपभोक्ता मामले विभाग ने कई आवश्यक सुझाव एवं निर्देश दिए।
इसी तरह 12 जून को गेहूं पर भंडारण सीमा लागू कर दी गई और 14 जून को इस मामले में राज्यों के वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ मीटिंग में उपभोक्ता मामले विभाग ने कई आवश्यक सुझाव एवं निर्देश दिए।
इसी तरह 12 जून को गेहूं पर भंडारण सीमा लागू कर दी गई और 13 जून को खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केन्द्रीय पूल से गेहूं तथा चावल का स्टॉक उतारने की अनुमति भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को दी गई।
फिलहाल 15 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारने का निर्णय लिया गया है जबकि चावल की कोई निश्चित मात्रा निर्धारित नहीं की गई है। चूंकि खाद्य तेल- तिलहन एवं मोटे अनाजों का भाव पहले से ही नियंत्रण में है इसलिए सरकार को उसमें केवल यथा स्थिति बनाए रखने की आवश्यकता पड़ रही है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार सरकारी फैसलों से खाद्यान्न बाजार पर दबाव बढ़ेगा और गेहूं तथा चावल के दाम में आ रही तेजी पर ब्रेक लग सकता है।
फ्लोर मिलर्स, व्यापारियों तथा बल्क खरीदारों को निश्चित मूल्य पर सरकारी गेहूं उपलब्ध होगा तो वे खुले बाजार में अपेक्षाकृत ऊंचे दाम पर इसकी खरीद करने में कम दिलचस्पी दिखाएंगे।
ध्यान देने की बात है कि जब जनवरी 2023 में गेहूं का भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था तब सरकार ने ओएमएसएस का सहारा लेकर ही बाजार को दबाने में सफलता हासिल की थी।
गेहूं एवं इसके उत्पादों के निर्यात पर पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि टुकड़ी चावल का निर्यात भी बंद है और गैर बासमती संवर्ग के कच्चे (सफेद) एवं स्टीम चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा हुआ है।
सरकार को आशंका है कि आगे भाव बढ़ने की उम्मीद से चावल, गेहूं, तुवर एवं उड़द का स्टॉक रोका जा रहा है जिससे मंडियों में इसकी आपूर्ति कम हो रही है और कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है।
सरकार प्रत्यक्ष रूप से किसानों को अपना उत्पाद जल्दी-जल्दी बेचने के लिए विवश नहीं कर सकती है इसलिए परोक्ष रूप से उस पर दबाव बढ़ाने का प्रयास कर रही है। व्यापारियों-स्टाकिस्टों के लिए भंडारण सीमा लागू करना उसी प्रयास का एक हिस्सा है।
खाद्य महंगाई में कमी आ रही है जबकि आगे इसमें कुछ और गिरावट आने की संभावना है। इससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
हालांकि गेहूं और चावल का सरकारी उत्पादन अनुमान वास्तविकता से ज्यादा है लेकिन फसल कटाई-तैयारी के तुरंत बाद ही मंडियों में वीरानी की स्थिति उत्पन्न होने से यह संदेह उत्पन्न होना स्वाभाविक है कि किसानों के पास अभी गेहूं चावल का पर्याप्त स्टॉक है मगर वे उसकी बिक्री में जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं।
खुले बाजार बिक्री योजना के तहत 15 लाख टन गेहूं की ई-नीलामी के लिए खाद्य निगम को 28 जून से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आरंभ करने की अनुमति दी गई है।