iGrain India - बंगलोर । कर्नाटक सरकार को अन्न भाग्य गारंटी स्कीम ने अंतर्गत बीपीएल परिवारों तथा अंत्योदय अन्न योजना के कार्ड धारकों को प्रति व्यक्ति 10 किलो चावल उपलब्ध करवाने के अपने वादे को पूरा करने में गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है।
केन्द्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना-घरेलू (ओएमएसएस-डी) के तहत राज्यों को भारतीय खाद्य निगम से गेहूं एवं चावल की खरीद को स्थगित रखने का निर्णय लिया है जिससे कर्नाटक सरकार की कठिनाई और भी बढ़ गई है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि इस संकट से निकलने के लिए कर्नाटक सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। यदि आवश्यकता पड़ी तो स्वयं मुख्यमंत्री एक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करते हुए उचित मूल्य पर चावल की खरीद के लिए पड़ोसी राज्यों से बातचीत करने के इच्छुक हैं।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के पड़ोसी राज्यों- तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु एवं उड़ीसा में धान-चावल का भारी उत्पादन होता है। उधर छत्तीसगढ़ में भी इसका स्टॉक उपलब्ध रहता है।
कर्नाटक के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री तथा कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री का कहना है कि चावल खरीद की प्रक्रिया पहले ही आरंभ हो चुकी है और वादे के अनुरूप 1 जुलाई से इस योजना को चालू करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
दरअसल कर्नाटक सरकार 2.28 लाख टन चावल की खरीद के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रही है और चाहती है कि 3400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से इसकी खरीद का अनुबंध हो जाए।
ध्यान देने वाली बात है कि इसी मूल्य स्तर पर अब तक भारतीय खाद्य निगम द्वारा अपने डिपो से राज्य सरकारों को चावल उपलब्ध करवाया जा रहा था जिसे स्थगित कर दिया गया है।
इस मूल्य स्तर पर 2.28 लाख टन चावल की खरीद पर प्रति माह 775.25 करोड़ रुपए का खर्च बैठेगा। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री का कहना है कि कर्नाटक सरकार खुले बाजार से चावल की खरीद नहीं करेगी बल्कि इसके बजाए पड़ोसी राज्यों और खासकर तेलंगाना की सरकारी एजेंसी से इसकी खरीद का प्रयास करेगी।
कर्नाटक के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में बातचीत करने के लिए तेलंगाना के सम्बद्ध अधिकारीयों के साथ सम्पर्क में है।