iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के डिपो से राज्यों को एक निश्चित मूल्य पर चावल तथा गेहूं की होने वाली बिक्री को स्थगित कर दिया है जिससे खासकर उन प्रांतों को कठिनाई होगी जो अपने स्तर से राशन कार्ड धारकों को इसकी आपूर्ति करते हैं।
मालूम हो कि अनेक राज्यों में इस तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसमें केन्द्र द्वारा प्रायोजित पीडीएस से अलग लोगों को चावल एवं गेहूं दिया जा रहा है।
अब तक खाद्य निगम से इसकी खरीद करके राज्य सरकारें उसका वितरण कर रही थीं मगर अब उन्हें नए स्रोतों की तलाश करनी पड़ेगी।
केन्द्र सरकार ने एक तरफ राज्यों को चावल एवं गेहूं की बिक्री रोक दी है तो दूसरी ओर खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 15 लाख टन गेहूं तथा अज्ञात मात्रा में (जरूरत के मुताबिक) चावल उतारने का निर्णय लिया है ताकि घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाते हुए कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने में सहायता मिल सके।
इसके साथ-साथ केन्द्र को अपना बफर स्टॉक भी बरकरार रखने की आवश्यकता है। केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का स्टॉक अपेक्षाकृत कम है। जबकि इसकी निकासी की गति तेज होती जा रही है।
हालांकि केन्द्र के इस निर्णय पर कर्नाटक सरकार ने सवाल उठाया है क्योंकि वहां अन्न भाग्य गारंटी योजना के लिए सरकारी चावल की सख्त आवश्यकता है लेकिन केन्द्र ने स्पष्ट कर दिया है कि यह फैसला किसी एक राज्य को केन्द्रित करने के लिए बल्कि समूचे देश के लिए हुआ है।
ज्ञात हो कि कर्नाटक सरकार ने प्रत्येक माह गरीबों को 10 किलो खाद्यान्न प्रति व्यक्ति देने का वादा किया है। लेकिन सरकार ने केन्द्र पर आरोप लगाया है कि वह इस स्कीम को विफल करने की साजिश कर रही है।
कर्नाटक के अलावा तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल एवं तेलंगाना जैसे राज्यों पर भी केन्द्र सरकार के निर्णय का प्रतिकूल असर पड़ेगा क्योंकि वहां ऐसे लोगों को मुफ्त में खाद्यान्न दिया जा रहा है जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून की परिधि में नहीं आए हैं।