iGrain India - मुम्बई । उम्मीद के अनुरूप अंततः जीरा का वायदा भाव 500 रुपए प्रति किलो (50,000 रुपए प्रति क्विंटल) की मनोवैज्ञानिक सीमा को पार कर गया है जिसका प्रमुख कारण स्टॉक कम होना एवं मांग मजबूत रहना बताया जा रहा है।
हाजिर बाजार पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ने के संकेत मिल रहे हैं। जीरा के रिकॉर्ड ऊंचे दाम से आम उपभोक्ताओं की कठिनाई स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगी।
हालांकि चावल दाल-आटा के विपरीत जीरा ऐसा आवश्यक उत्पाद नहीं है जिसकी भारी खपत होती है लेकिन मसालों की दृष्टि से यह अत्यन्त महत्वपूर्ण उत्पाद माना जाता है।
पिछले एक साल के अंदर इसके दाम में दोगुने से अधिक की बढ़ोत्तरी हो चुकी है जिससे निश्चित रूप से उपभोक्ता प्रभावित होंगे। अभी जीरा के दाम में ठहराव (स्थिरता) आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं जबकि तुर्की एवं सीरिया जैसे देशों में नए माल की आवक जल्दी ही शुरू होने वाली है।
कीमतों में वृद्धि से जीरे की खपत पर असर पड़ सकता है। निर्यात मोर्चे पर वैश्विक बाजार में सम्पूर्ण पाइप लाइन खाली है और वर्तमान समय में भारत इसका एकमात्र आपूर्तिकर्ता देश बना हुआ है इसलिए निर्यातकों को घरेलू प्रभाग में ऊंचे दाम पर भी जीरा खरीदकर अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
एनसीडीईएक्स में जीरा का वायदा भाव दिसम्बर 2022 में 25,085 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। पिछले दिन वायदा में इसका भाव 4 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गया।
उधर ऊंझा (गुजरात) में जीरा का हाजिर बाजार भाव उछलकर 19 जून की शाम तक 51,259 रुपए प्रति क्विंटल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक मंडियों में अब तक करीब 1.29 लाख टन जीरे की आवक हो चुकी है।
एक अग्रणी संस्था- फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टैक होल्डर्स (फिस्स) ने लगभग 3.84 लाख टन (69.96 लाख बोरी, 55 किलो की प्रत्येक बोरी) जीरा के घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया था जो पिछले साल के उत्पादन 3.01 लाख टन से 28 प्रतिशत ज्यादा था लेकिन बाद में गुजरात एवं राजस्थान में मौसम खराब हो जाने से संस्था ने जीरा का उत्पादन अनुमान घटाकर 60 लाख बोरी निर्धारित कर दिया।