iGrain India - अहमदाबाद । फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टैक होल्डर्स (फिस्स) ने जीरा का घरेलू उत्पादन अनुमान 70 लाख बोरी से घटाकर 60 लाख बोरी निर्धारित किया है।
उधर तुर्की एवं सीरिया में फसल की हालत अनिश्चित बनी हुई है जिससे भारत अभी इस महत्वपूर्ण सीड मसाले का एकमात्र आपूर्तिकर्ता देश बना हुआ है जिसे देखते हुए व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि निकट भविष्य में जीरा का भाव ऊंचा एवं तेज रह सकता है जबकि पहले ही भारत में इसका हाजिर एवं वायदा मूल्य उछलकर 50,000 रुपए प्रति क्विंटल की सीमा को पार करके सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुका है।
समीक्षकों के मुताबिक एक तो उत्पादन कमजोर होने से जीरा की आवक घट रही है और दूसरे, बड़े-बड़े उत्पादकों तथा स्टॉकिस्टों ने इसका भारी-भरकम स्टॉक भी दबा रखा है जिससे आपूर्ति की स्थिति और भी जटिल होती जा रही है।
हालांकि जीरा का परिदृश्य तो उच्च दिखता है मगर ऊंचे दाम पर इसकी मुनाफा वसूली शुरू होने की संभावना से इंकार करना भी मुश्किल है। इससे कीमतों में अस्थायी नरमी आ सकती है।
गुजरात और राजस्थान जीरा के दो सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त हैं। वहां 2022-23 के सीजन में मौसम की हालत अच्छी थी जिससे जीरा के बेहतर उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा था मगर बाद में मौसम प्रतिकूल होने से उत्पादन में कटौती की आवश्यकता महसूस होने लगी।
जहां तक वैश्विक स्तर पर जीरा की आपूर्ति एवं उपलब्धता का सवाल है तो इसमें ज्यादा बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद नहीं है। अफगानिस्तान और ईरान में फसल की हालत कुछ हद तक सामान्य बताई जा रही है लेकिन वहां उत्पादन सीमित होता है और निर्यात योग्य स्टॉक जल्दी ही समाप्त हो जाता है।
तुर्की और सीरिया से भारत को जीरा के वैश्विक निर्यात बाजार में कुछ समय तक चुनौती मिलती है और फिर स्थिति सामान्य हो जाती है।
तुर्की और सीरिया का जीरा हल्की क्वालिटी का होता है इसलिए उसका भाव भारतीय जीरे से नीचे ही रहता है। कुछ देश इसकी खरीद करते हैं। इसके मुकाबले अच्छी क्वालिटी के भारतीय जीरे की मांग हमेशा बनी रहती है।
भारत में फरवरी-मार्च से ही जीरे के नए माल की आवक हो रही है जबकि अन्य देशों में जुलाई-अगस्त में फसल की आवक शुरू होती है। चीन और बांग्ला देश भारतीय जीरे के दो प्रमुख खरीदार बने हुए हैं।