iGrain India - जालंधर । हालांकि केन्द्र सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1962 रुपए प्रति क्विंटल नियत कर रखा है मगर पंजाब की मंडियों में अच्छी क्वालिटी के सूखे मक्के का भाव महज 1500/1550 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।
इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है और वे सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। मालूम हो कि पंजाब में अभी ग्रीष्मकालीन मक्का फसल की कटाई-तैयारी जारी है।
किसानों का कहना है कि यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उसके मक्के की खरीद की जाए तो उसे प्रति एकड़ करीब 30 हजार रुपए की आमदनी हो सकती है मगर नीचे दाम पर इसकी बिक्री करने से उनकों भारी घाटा हो रहा है।
मक्का की जिस फसल की कटाई-तैयारी अभी हो रही है और जिसमें नमी का अंश ज्यादा है उसका भाव तो महज 950 से 1100 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बताया जा रहा है। सरकारी खरीद के अभाव में किसानों को औने-पौने दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
किसान संगठनों के अनुसार पानी की भारी कमी के कारण पंजाब में मक्का एवं मूंग जैसी फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है लेकिन फसल जब कटकर मंडियों में आती है तो उचित मूल्य पर इसका कोई खरीदार नही मिलता है।
इससे आगामी समय में किसानों का हौसला पस्त हो सकता है। ग्रीष्मकालीन मक्का की खेती मार्च में होती है जबकि जून में इसकी कटाई-तैयारी शुरू हो जाती है। इस फसल की कटाई के बाद वहां खरीफ कालीन धान की रोपाई आरंभ होती है।
समझा जाता है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए मक्का की क्वालिटी जिस तरह की होनी चाहिए उस ग्रेड के मक्के का मंडी भाव भी 1550 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा नही है।
किसान संगठनों का कहना है कि मंडियों में किसानों के भारी शोषण को देखते हुए सरकार को तत्काल मजबूती से हस्तक्षेप करना चाहिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का की अधिक से अधिक खरीद करनी चाहिए।