iGrain India - नई दिल्ली । सोया फ़ूड प्रोमोशन एंड वैलफेयर एसोसिएशन ने सिफारिशों की एक सूची जारी की है जिसमें खाद्य श्रेणी के सोयाबीन पर आयात शुल्क में कटौती करने का सुझाव भी शामिल है।
उसका कहना है कि सोयाबीन से निर्मित विभिन्न तरह के खाद्य उत्पादों के निर्यात संवर्धन हेतु खाद्य श्रेणी के सोयाबीन का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध होना आवश्यक है।
सोयाबीन पर फिलहाल 45 प्रतिशत का भारी भरकम आयात शुल्क लागू है जबकि एसोसिएशन ने इसे घटाकर 10-20 प्रतिशत नियत करने का आग्रह किया है। एसोसिएशन के मुताबिक दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में अच्छी क्वालिटी के सोया फ़ूड की भारी मांग रहती है जिसे पूरा करने में भारतीय प्रोसेसर्स तभी सफल हो सकते हैं जब उन्हें उचित मूल्य पर विदेशों से विशिष्ट श्रेणी के सोयाबीन का आयात करने में सहूलियत हो।
इंदौर में आयोजित एक कांफ्रेंस में एसोसिएशन ने कई सुझावों की एक फेहरिस्त जारी की थी जिसमें सोयाबीन पर आयात शुल्क घटाने का आग्रह भी शामिल है।
यूएस सोयाबीन एक्सपोर्ट कौंसिल के भारतीय प्रमुख ने कहा कि पहले सोयाबीन पर 30 प्रतिशत का आयात शुल्क लगता था जिसे दो वर्ष पूर्व सरकार ने बढ़ाकर 45 प्रतिशत निर्धारित कर दिया।
अमरीका तथा कनाडा में फ़ूड ग्रेड सोयाबीन का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है जिसका भारत में आयात किया जा सकता है।
लेकिन इसके लिए सीमा शुल्क में कटौती होना आवश्यक है। इससे भारतीय प्रोसेसर्स को सोया फ़ूड उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने में अच्छी सहायता मिलेगी। भारत में जिस संवर्ग के सोयाबीन का उत्पादन होता है उसका इस्तेमाल मुख्यत: खाद्य तेल निर्माण में होता है।
इससे कुछ अन्य खाद्य उत्पाद भी बनाए जाते हैं। मगर अमरीका और कनाडा की कृषि जलवायु ऐसी है कि वहां खास तरह के सोयाबीन की पैदावार होती है।
चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देश खाद्य उत्पादों के निर्माण के लिए इसके आयात को प्राथमिकता देते हैं। भारतीय प्रोसेसर्स को भी इसका फायदा उठाने का मौका मिलना चाहिए।