iGrain India - शिकागो । पिछले कुछ दिनों से गेहूं के वैश्विक बाजार मूल्य में मजबूती का माहौल बना हुआ है क्योंकि अधिकांश प्रमुख निर्यातक देशों में इसकी आपूर्ति का लीन या ऑफ सीजन चल रहा है, निर्यात योग्य स्टॉक कम बचा है और आयातक देशों में अच्छी मांग बनी हुई है।
अगले महीने (जुलाई) से अमरीका एवं यूरोप में गेहूं की नई फसल की कटाई-तैयारी शुरू होने की संभावना है जिससे नए माल का आना आरंभ हो जाएगा।
शुरुआती चरण में वहां शीतकालीन गेहूं की आवक होगी और उसके बाद वसंतकालीन मुख्य फसल की कटाई-तैयारी होने लगेगी। 2022-23 के मार्केटिंग सीजन के दौरान रूस तथा ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ जिससे वैश्विक बाजार की तेजी को नियत्रित करने में काफी हद तक सफलता मिल गई।
लेकिन 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान ऑस्ट्रेलिया और रूस में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का उत्पादन घटने की संभावना है। यूक्रेन में भी उत्पादन सामान्य औसत स्तर से कम हो सकता है जबकि वहां से इसके शिपमेंट पर खतरे की तलवार लटकी हुई है।
अमरीका और कनाडा में गेहूं की अच्छी बिजाई हुई है। यूरोपीय संघ में फ्रांस तथा जर्मनी गेहूं के दो सबसे प्रमुख देश हैं। वहां फसल की हालत लगभग सामान्य है।
भारत में गेहूं का उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम होने की संभावना व्यक्त की गई है और मंडियों में आवक कम होने तथा मांग मजबूत रहने से कीमतों में तेजी का माहौल बना हुआ है।
इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अपने स्टॉक से 15 लाख टन गेहूं उतारने का फैसला किया है और इसका आरक्षित मूल्य थोक मंडियों में प्रचलित भाव से काफी नीचे नियत किया गया है।
रूस तथा यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। रूस ने यूक्रेन से समुद्री मार्ग से 18 जुलाई तक गेहूं सहित अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात शिपमेंट पर सहमति व्यक्त की थी। उसके बाद क्या होगा कोई नहीं जानता।
उधर यूरोपीय संघ के सीमावर्ती देशों में यूक्रेन से सड़क या रेलमार्ग के जरिए गेहूं के निर्यात पर गहरी नजर रखी जाएगी क्योंकि बेतहाशा निर्यात से उन देशों के गेहूं उत्पादकों को भारी नुकसान होने की आशंका है।
समीक्षकों का मानना है कि यदि यूक्रेन से निर्यात प्रभावित हुआ तो रूस और रोमानिया सहित कई देशों को फायदा हो सकता है।