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भंडारण सीमा लागू होने के बाद गेहूं का भाव नरम मगर दलहनों का दाम अब भी ऊंचे स्तर पर बरकरार

प्रकाशित 30/06/2023, 11:58 am
भंडारण सीमा लागू होने के बाद गेहूं का भाव नरम मगर दलहनों का दाम अब भी ऊंचे स्तर पर बरकरार
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iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार द्वारा गेहूं पर भंडारण सीमा लागू करने तथा अपने स्टॉक से माल की बिक्री शुरू किए जाने के कारण दिल्ली में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का थोक भाव कुछ नरम पड़ा है मगर कुछ राज्यों की मंडियों में या तो तेज हुआ या पिछले स्तर पर स्थिर रहा।

लेकिन तुवर एवं उड़द की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं देखा जा रहा है जबकि इस पर गेहूं से भी 10 दिन पहले भंडारण सीमा लागू की गई थी। गेहूं के दाम में भी सभी मंडियों में समान गिरावट नहीं आई है। 

व्यापार विश्लेषकों के अनुसार तुवर एवं उड़द के दाम में अकोला, गुलबर्गा, लातूर, चेन्नई तथा विजयवाड़ा में कुछ नरमी आई है जिससे आम लोगों को थोड़ी राहत मिल रही है लेकिन फिर भी इसका भाव काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार है।

गेहूं की भांति सरकार अपने स्टॉक से तुवर की बिक्री आरंभ करने का प्लान बना रही है जिससे इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में कुछ नरमी आ सकती है। सरकार कम से कम मध्य अगस्त तक बाजार को नीचे लाने का हर संभव प्रयास कर सकती है।

उसके बाद जब अफ्रीकी तुवर का आयात शुरू होगा तो घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता स्वाभाविक रूप से बढ़ने लगेगी। सरकार को विश्वास है कि देश में अभी तुवर का अच्छा-खासा स्टॉक मौजूद है और बड़े-बड़े उत्पादक एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान सिर्फ दाम बढ़ने की उम्मीद से इसका स्टॉक रोक रहे हैं।

यदि मंडियों में इसकी आवक के लिए समुचित उपाय किए जाए तो कीमतों में गिरावट आ सकती है। सरकार के पास करीब 2.50 लाख टन तुवर का स्टॉक मौजूद है जिसमें से 1.00-1.50 लाख टन को घरेलू बाजार में बिक्री के लिए उतारा जा सकता है।

जहां तक गेहूं का सवाल है तो इसकी ई-नीलामी बिक्री शुरू हो चुकी है मगर फ्लोर मिलर्स एवं बल्क खरीदारों द्वारा इसमें बहुत कम दिलचस्पी दिखाई गई जबकि सरकारी गेहूं का आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) एफएक्यू श्रेणी के लिए 2150 रुपए प्रति क्विंटल तथा यूआरएस संवर्ग के लिए 2125 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है।

गेहूं का घरेलू उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम हुआ है। दक्षिणी राज्यों में इसकी कमी महसूस की जा रही है क्योंकि वहां इसका उत्पादन नहीं या नगण्य होता है।

इस बीच केन्द्र सरकार ने संकेत दिया है कि यदि उसके तमाम प्रयासों के बावजूद कीमतों में अपेक्षित गिरावट नहीं आती है तो विदेशों से इसके शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने के विकल्प पर विचार किया जा सकता है।

मालूम हो कि गेहूं पर फिलहाल 40 प्रतिशत का भारी-भरकम आयात शुल्क लगा हुआ है। केन्द्रीय पूल से 15 लाख टन गेहूं के स्टॉक को खुले बाजार में उतारने का निर्णय लिया गया है।

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