iGrain India - नई दिल्ली । खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 28 जून को भारतीय खाद्य निगम द्वारा आयोजित पहली ई नीलामी में केवल 21 प्रतिशत गेहूं की खरीद के लिए बिड (बोली) प्राप्त हो सका।
खाद्य निगम ने इस नीलामी के दौरान 4.08 लाख टन गेहूं की बिक्री का ऑफर दिया था और इसका आरक्षित मूल्य भी आकर्षक स्तर पर नियत किया था लेकिन उम्मीद के विपरीत इसमें से महज 85,580 टन की ही बिक्री हो सकी।
ध्यान देने की बात है की ओएमएसएस वाले गेहूं का आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) एफएक्यू श्रेणी के लिए 2150 रुपए प्रति क्विंटल तथा यूआरएस संवर्ग के लिए 2125 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया था जो प्रचलित बाजार भाव से काफी नीचे था।
खाद्य निगम को उम्मीद थी कि नीलामी में दिए गए ऑफर 4.08 लाख टन गेहूं के अधिकांश भाग की बिक्री हो जाएगी परन्तु ऐसा नहीं हो सका। उल्लेखनीय कि इस 4.08 लाख टन के कुल ऑफर से 70 प्रतिशत गेहूं यूआरएस श्रेणी का था जिसे कमजोर क्वालिटी का माना जाता है।
इसका सरकारी मूल्य 2125 रुपए प्रति क्विंटल था जबकि घरेलू बाजार भाव भी इसके आसपास ही चल रहा था। इसके अलावा ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उत्तरी भारत के फ्लोर मिलर्स ने इस नीलामी में बढ़-चढ़कर भाग नहीं लिया और न ही उसकी खरीद में कोई खास सक्रियता दिखाई।
समझा जाता है कि मिलर्स के पास पहले से ही ऊंचे दाम पर खरीदे गए गेहूं का अच्छा खासा स्टॉक अभी मौजूद है और इसकी खपत होने के बाद ही वे सरकारी गेहूं की खरीद में दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
28 जून को अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं का औसत मूल्य प्रमुख थोक मंडियों में 2307 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था फिर भी सस्ते सरकारी गेहूं की बिक्री अपेक्षित स्तर पर नहीं पहुंच सकी।
समझा जाता है कि प्रत्येक खरीदार के लिए बिक्री की सीमा महज 10 टन से लेकर 100 टन तक नियत होने से भी बोली कम लगी। बड़े-बड़े खरीदार इस नीलामी से दूर ही रहे।
इससे पूर्व की नीलामी में गेहूं की बिक्री की उच्चतम सीमा 3000 टन नियत की गई थी जिससे इसकी खरीद काफी अच्छी हुई थी।