iGrain India - विशाखपट्नम । देश के दक्षिणी राज्य- आंध्र प्रदेश के पूर्वी एवं पश्चिमी गोदावरी जिलों में चावल की कीमतों में जारी भारी तेजी से आम उपभोक्ताओं की कठिनाई बहुत बढ़ गई है जो दालों एवं सब्जियों के अत्यन्त महंगे दाम के कारण पहले से ही काफी परेशान हैं।
पिछले एक सप्ताह के दौरान वहां चावल के दाम में 5 से 8 रुपए प्रति किलो तक का इजाफा हो गया जबकि व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में इसका भाव कुछ और तेज हो सकता है।
पहले सोना मसूरी चावल की 26 किलो वाली बोरी का भाव 1040 रुपए चल रहा था जो अब चावल मिलों में ही बढ़कर 1140 रुपए हो गया है। जब यह बाजार में पहुंचेगा तब इसका दाम उछलकर 1250 रुपए पर पहुंच जाएगा।
आमतौर पर खुदरा व्यापारी 50 से 100 रुपए प्रति बोरी के मुनाफे के साथ चावल का कारोबार करते हैं। इसी तरह एचएमटी किस्म के चावल की 26 किलो वाली बोरी का दाम 1250 रुपए से बढ़कर 1350 रुपए हो गया है।
थोक एवं खुदरा व्यापारियों का आरोप है कि समूचे आंध्र प्रदेश और खासकर पूर्वी तथा पश्चिमी गोदावरी जिलों के राइस मिलर्स ने एक सिंडीकेट (समूह) बना लिया है और चावल का दाम बढ़ाना शुरू कर दिया है।
एक थोक व्यापारी का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा हाल ही में धान की बोरी पर 1 प्रतिशत का सेस लगाया गया है जो चावल के दाम में हो रही बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण है।
आरंभिक चरण में राइस मिलर्स ने इस सेस का विरोध किया था लेकिन जब सिंडीकेट ने उसे आश्वस्त कर दिया कि सतर्कता और नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा छापामारी नहीं की जाएगी तब वे इस पर सहमत हो गए।
मिलर्स ने इस सेस का भार डीलर्स और होल सेलर्स पर डाला और उसने आम उपभोक्ताओं पर इसका बोझ डाल दिया। उधर मिलर्स का कहना है कि उन्हें जो धान प्राप्त हुआ वह वर्षा में भींगा हुआ और क्षतिग्रस्त था इसलिए अच्छी क्वालिटी के चावल का दाम कुछ बढ़ गया।
लेकिन लोगों का कहना है कि भूतकाल में जब इससे भी भारी वर्षा हुई थी तब भी चावल के दाम में वृद्धि की ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई थी।