iGrain India - कोच्चि । भारतीय मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 के दौरान मसालों के निर्यात में मिश्रित रुख रहा।
एक तरफ समीक्षाधीन अवधि के दौरान जीरा, लालमिर्च, छोटी (हरी) इलायची, कालीमिर्च, अदरक (सौंठ), सौंफ, जायफल, जावित्री, इमली तथा बड़ी (काली) इलायची के निर्यात में गिरावट आई तो दूसरी ओर धनिया, हल्दी, लहसुन तथा मेथी के निर्यात में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-मार्च) के मुकाबले 2022-23 के दौरान लालमिर्च का निर्यात 5,57,144 टन से 7 प्रतिशत फिसलकर 5,16,185 टन, जीरा का 2,16,971 टन से 14 प्रतिशत गिरकर 1,86,500 टन,
छोटी इलायची का 10,571 टन से 30 प्रतिशत लुढ़ककर 7352 टन, कालीमिर्च का 21,863 टन से 18 प्रतिशत घटकर 17,958 टन, सौंठ (अदरक) का 1,47,677 टन से 66 प्रतिशत लुढ़ककर 50,885 टन, सौंफ का 40,139 टन से 47 प्रतिशत घटकर 21,201 टन, इमली का 37,333 टन से 11 प्रतिशत गिरकर 33,317 टन,
जायफल-जावित्री का 3597 टन से 4 प्रतिशत फिसलकर 3447 टन तथा बड़ी इलायची का निर्यात 1981 टन से 5 प्रतिशत गिरकर 1883 टन पर सिमट गया वस्तुत: वित्त वर्ष 2021-22 में देश से मसालों का शानदार निर्यात हुआ था।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान कुछ मसालों के निर्यात में इजाफा भी हुआ। इसके तहत हल्दी का निर्यात 1,52,758 टन से 11 प्रतिशत बढ़कर 1,70,085 टन, धनिया का 48,656 टन से 12 प्रतिशत बढ़कर 54,481 टन, मेथी का 32,402 टन से 8 प्रतिशत सुधरकर 35,055 टन तथा लहसुन का निर्यात 22,135 टन से 159 प्रतिशत उछलकर 57,346 टन पर पहुंच गया।
मात्रा की दृष्टि से देखा जाए तो 2021-22 के मुकाबले 2022-23 के वित्त वर्ष के दौरान लालमिर्च में 40,959 टन, जीरा के निर्यात में 30,462 टन, छोटी इलायची में 3219 टन, कालीमिर्च में 3905 टन, सौंठ में 96,792 टन, सौंफ में 18,938 टन, जायफल-जावित्री में 150 टन, इमली में 4016 टन तथा बड़ी इलयाची में 98 टन की गिरावट आई।
दूसरी ओर हल्दी की निर्यात मात्रा में 17,328 टन, धनिया में 5825 टन लहसुन में 35,211 टन तथा मेथी की निर्यात मात्रा में 2652 टन का इजाफा दर्ज किया गया।
भारत दुनिया में मसालों का सबसे प्रमुख उत्पादक, खपतकर्ता एवं निर्यातक देश है। वहां से उपरोक्त मसालों के अलावा कई अन्य तरह के मसालों, मसाला उत्पादों, मसाला तेल, ऑलियोरेसिन आदि का भी शिपमेंट होता है जिससे देश को विशाल मात्रा में बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।