iGrain India - रायपुर । केन्द्रीय पूल में चावल का योगदान देने वाले एक अग्रणी राज्य- छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ सीजन के दौरान धान का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से 7.70 प्रतिशत पीछे चल रहा है।
इसका प्रमुख कारण यह है कि राज्य सरकार धान के बजाए मिलेट्स दलहन एवं तिलहन फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दे रही है।
छत्तीसगढ़ में पिछले सप्ताह से धान की रोपाई शुरू हो गई लेकिन मानसूनी वर्षा की हालत अनियमित एवं अनिश्चित रहने से किसानों को रोपनी में कठिनाई हो रही है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ देश में धान-चावल के शीर्ष 10 उत्पादक राज्यों की सूची में शामिल है। राज्य कृषि विभाग ने छत्तीसग़ढ में धान के उत्पादन क्षेत्र का लक्ष्य गत वर्ष के 39 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 36 लाख हेक्टेयर निर्धारित किया है।
दूसरी ओर अन्य खरीफ फसलों के बिजाई क्षेत्र का लक्ष्य करीब 1.00 लाख हेक्टेयर बढ़ाया गया है। पिछले साल इसका कुल क्षेत्रफल 47.10 लाख हेक्टेयर था जबकि इस बार 49.20 लाख हेक्टेयर में बिजाई का लक्ष्य रखा गया है।
वहां मोटे अनाजों की खेती को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मक्का के बिजाई क्षेत्र का लक्ष्य 1.92 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 2.40 लाख हेक्टेयर तथा मिलेट्स (कोदो, कुटकी एवं रागी) की खेती का लक्ष्य 96 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 1.60 लाख हेक्टेयर नियत किया गया है।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ में अन्य खरीफ फसलों की खेती का लक्ष्य 1.57 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 2.50 लाख हेक्टेयर तथा तिलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र का लक्ष्य 83 हजार हेक्टेयर बढ़ाकर 2.09 लाख हेक्टेयर नियत किया गया है।