iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू प्रभाग में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा पिछले महीने दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। एक तो 12 जून से गेहूं पर स्टॉक सीमा लागू की गई और फिर केन्द्रीय पूल से 15 लाख टन गेहूं खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बाजार में उतारने का फैसला किया गया।
28 जून को इसके लिए पहली ई-नीलामी आयोजित की गई। फ्लोर मिलर्स के तमाम विरोध के बावजूद सरकार ने इस गेहूं का न्यूनतम आरक्षित मूल्य बाजार में प्रचलित भाव से काफी नीचे रखा।
लेकिन इस नीलामी में कुल 4.08 लाख टन के ऑफर के सापेक्ष केवल 86 हजार टन गेहूं की खरीद के लिए बोली लगी। अब 5 जुलाई (कल) को दूसरी नीलामी होनी है जिसके लिए 4.07 लाख टन गेहूं का ऑफर दिया गया है।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष एवं हरदोई रोड, सीतापुर (यूपी) में अवस्थित फर्म- हरक चन्द्र फ्लोर मिल्स प्रा० लि० के डायरेक्टर धर्मेन्द्र जैन का कहना है कि सरकारी प्रयासों से गेहूं के दाम में 50-60 रुपए प्रति क्विंटल की नरमी आ सकती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस बार फसल में कुछ कमी है। स्टॉक सीमा लागू होने के बावजूद मंडियों में गेहूं की आवक नहीं बढ़ रही है जिससे संकेत मिलता है कि स्टॉकिस्टों-व्यापारियों के पास ज्यादा माल नहीं है।
किसानों के पास भी इतनी क्षमता नहीं है कि वह स्टॉक को लम्बे समय तक रोक कर रख सके। वस्तुत: गेहूं के उत्पादन का जो अलग-अलग अनुमान सामने आ रहा है उससे बाजार में दुविधा की स्थिति बनी हुई है।
यदि सरकारी अनुमान को सच माना जाए तो सवाल उठता है कि आखिर गेहूं गया कहां ? मंडियों की हालत को देखते हुए लगता है कि देर-सबेर सरकार को गेहूं के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने के लिए विवश होना पड़ सकता है।
गेहूं उत्पादों और खासकर आटा की घरेलू मांग कमजोर पड़ गई है। ई-नीलामी में भाग लेने के लिए जो शर्तें रखी गईं उसे पूरा करने में अनेक फर्में सक्षम नहीं हो रही हैं। सरकार गेहूं का दाम नियंत्रित करने के लिए अपना प्रयास आगे भी जारी रखेगी।