iGrain India - मुम्बई । वैश्विक बाजार में दाम नरम पड़ने तथा सरकार का सकारात्मक नीतिगत समर्थन मिलने से भारत में खाद्य तेलों का आयात बढ़ने के आसार हैं।
हालांकि घरेलू प्रभाग में सोयाबीन तथा सरसों की पर्याप्त उपलब्धता के साथ भाव कमजोर चल रहा है लेकिन विदेशों से आयातित खाद्य तेल काफी सस्ता बैठ रहा है क्योंकि एक तो निर्यातक देशों में इसका मूल्य काफी घट गया है और दूसरे, सरकार ने इसके आयात शुल्क में भी भारी कटौती कर दी है।
इधर घरेलू प्रभाग में नैफेड द्वारा 9.50 लाख टन सरसों की खरीद किए जाने के बावजूद रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण तिलहन का थोक मंडी भाव अधिकांश राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रहा है।
सोयाबीन का दाम भी अपने शीर्ष स्तर की तुलना में घटकर काफी नीचे आ गया है लेकिन फिर भी समर्थन मूल्य से ऊंचा है। आपूर्ति-उपलब्धता की स्थिति अत्यन्त सुगम रहने तथा विदेशी माल के आयात का प्रवाह बढ़ने से घरेलू प्रभाग में सोयाबीन तेल, पाम तेल, सरसों तेल, सूरजमुखी तेल एवं मूंगफली तेल सहित अन्य खाद्य तेलों के दाम में भारी गिरावट आ गई है जिससे आम उपभोक्ताओं को काफी राहत मिल रही है।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों के अनुसार मई की तुलना में जून माह के दौरान पाम तेल एवं सोयाबीन तेल के आयात में भारी बढ़ोत्तरी होने का अनुमान है जबकि सूरजमुखी तेल के आयात में कुछ गिरावट आ गई।
वैसे अब सोयाबीन एवं इसके तेल का वैश्विक बाजार भाव कुछ मजबूत हुआ है मगर भारत में इसके आयात पर ज्यादा प्रभाव पड़ने में संदेह है। मई में आयात अपेक्षाकृत कम हुआ था। इंडोनेशिया एवं मलेशिया जैसे शीर्ष उत्पादक एवं निर्यातक देशों को अपने पाम तेल के विशाल स्टॉक को घटाने के लिए आक्रामक प्रयास करना पड़ रहा है।
अर्जेन्टीना में सोयाबीन का उत्पादन घट जाने से स्थिति थोड़ी विषम होने की आशंका थी लेकिन ब्राजील के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण सोया तेल का वैश्विक बाजार संतुलित हो गया।
अमरीका में सोयाबीन फसल की हालत धीरे-धीरे सुधरने के संकेत मिल रहे हैं। भारत में सोयाबीन तेल का सर्वाधिक आयात अर्जेन्टीना से ही किया जाता है।
इसके अलावा ब्राजील से भी इसे मंगाया जाता है। अर्जेन्टीना के मिलर्स सोया तेल के उत्पादन एवं निर्यात को सामान्य स्तर पर बनाए रखने के लिए ब्राजील सहित अन्य देशों से विशाल मात्रा में सोयाबीन का आयात कर रहे हैं।