iGrain India - मुम्बई । भारत लम्बे समय से दुनिया में मसालों एवं मूल्य संवर्धित मसाला उत्पादों का सबसे प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देश बना हुआ है और निकट भविष्य में कोई अन्य देश इसे चुनौती देने की स्थिति में नहीं है।
भारत में 80 से अधिक किस्मों के मसालों का उत्पादन होता है जिसका निर्यात दुनिया के 100 से ज्यादा देशों को किया जाता है।
हालांकि लालमिर्च, जीरा, हल्दी, धनिया, सौंफ एवं लहसुन आदि मसालों के निर्यात में भारत की अग्रता बरकरार है लेकिन कालीमिर्च में यह काफी पिछड़ गया है।
मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 2021-22 की तुलना में 2022-23 के दौरान भारत से अधिकांश साबुत मसालों के निर्यात में गिरावट आई थी जिसका प्रमुख कारण निर्यात योग्य स्टॉक कम तथा भाव ऊंचा रहना था।
इसके अलावा वैश्विक बाजार में अन्य प्रमुख निर्यातक देशों की बढ़ती चुनौतियों तथा कुछ आयातक देशों की कमजोर अर्थ व्यवस्था से भी निर्यात प्रभावित हुआ। लालमिर्च, जीरा और हल्दी से भारत को काफी उम्मीदें रहती हैं।
2021-22 के मुकाबले 2022-23 के दौरान देश से लालमिर्च का निर्यात 5.57 लाख टन से घटकर 5.16 लाख टन तथा जीरा का निर्यात 2.17 लाख टन से गिरकर 1.87 लाख टन पर अटक गया लेकिन हल्दी का शिपमेंट 1.53 लाख टन से बढ़कर 1.70 लाख टन पर पहुंच गया।
इसी तरह समीक्षाधीन अवधि के दौरान छोटी इलायची का निर्यात 11 हजार टन से घटकर 7 हजार टन एवं कालीमिर्च का निर्यात 22 हजार टन से गिरकर 18 हजार टन पर सिमट गया मगर धनिया का शिपमेंट 49 हजार टन से बढ़कर 55 हजार टन के करीब पहुंच गया।
सौंठ (अदरक) का शिपमेंट 1.48 लाख टन से लुढ़ककर 51 हजार टन तथा सौंफ का शिपमेंट 40 हजार टन से घटकर 21 हजार टन रह गया लेकिन मेथी का निर्यात 32 हजार टन से बढ़कर 35 हजार टन पर पहुंच गया।
इसी तरह लहसुन का निर्यात तो 22 हजार टन से उछलकर 57 हजार टन पर पहुंचा मगर इमली का निर्यात 37 हजार टन से घटकर 33 हजार टन पर आ गया।
जायफल-जावित्री एवं बड़ी इलायची के निर्यात में क्रमश: 4 प्रतिशत एवं 5 प्रतिशत की गिरावट आ गई। चालू वर्ष के दौरान जीरा तथा हल्दी सहित कुछ अन्य मसालों का घरेलू बाजार भाव ऊंचा होने से निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है।