iGrain India - जीरा कीमतों में तेजी : अभी मंदा नहीं
नई दिल्ली। चालू सप्ताह के दौरान जीरा की कीमतों में तेजी रही और अभी भी भाव ओर बढ़ने का अनुमान लगाये जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चालू सीजन के दौरान उत्पादक केन्द्रों पर प्रतिकूल मौसम के चलते जीरा उत्पादन प्रभावित हुआ है।
हालांकि बिजाई के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई थी लेकिन बेमौसमी बारिश से फसल की क्वालिटी एवं उत्पादन दोनों प्रभावित हुए इसके अलावा बकाया स्टॉक भी गत वर्ष की तुलना में लगभग 18/20 लाख बोरी का कम रहा।
जिस कारण से कुल उपलब्धता कमजोर बनी हुई है। परिणामस्वरूप भाव दिन-प्रतिदिन नई ऊंचाई को छू रहे हैं। अभी भी तेजी की संभावना बनी हुई है। क्योंकि हाजिर में माल की उपलब्धता कमजोर रह गई है। जबकि नई फसल आने में अभी लगभग 5/6 माह का समय शेष है।
आयात संभव नहीं
जीरा की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए आयातकों ने विदेशों से जीरा आयात के सौदे किए थे। मगर टर्की एवं सीरिया द्वारा निर्यात सौदे कैंसिल कर दिये गए थे। वर्तमान में चीन से आयात की संभावना बनी थी लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए चीन से आयात की संभावना कैंसिल होने के आसार लगाए जा रहे हैं।
जिस कारण से जीरा कीमतों में फिर से तेजी का दौर शुरू हो गया है। सूत्रों का मानना है कि टर्की-सीरिया में उत्पादन कम रहने के कारण सौदे कैंसिल हुए हैं। जबकि चीन में भी जीरा उत्पादन अपनी खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होता है और वह भारत से आयात करता है। अतः चीन से जीरा आयात की संभावना नहीं है।
कीमतों में तेजी
चालू सप्ताह के दौरान वायदा एवं हाजिर बाजारों में जीरा के भाव तेजी के साथ बोले गए। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात की ऊंझा मंडी में जीरा का क्वालिटीनुसार भाव 495/555 रुपए से तेजी के साथ 515/580 रुपए पर बोला जाने लगा है।
जबकि राजस्थान की जोधपुर मंडी में भाव 520/570 रुपए से मजबूती के साथ सप्ताह के अंत में 530/600 रुपए के स्तर पर पहुंच गया है। कमजोर सप्लाई के चलते उत्पादक केन्द्रों की मंडियों सहित खपत केन्द्रों पर भी चालू सप्ताह के दौरान जीरा के भाव 20/30 रुपए प्रति किलो ऊंचे रहे।
मंदे की संभावना नहीं
खपत एवं कुल उपलब्धता को देखते हुए आगामी दिनों में जीरे की शार्टेज बनेगी। जिस कारण से कीमतों में मंदे की संभावना नहीं है। आगामी दिनों में अभी बाजार ओर बढ़ेंगे।
जानकार सूत्रों का कहना है कि उत्पादक केन्द्रों पर किसानों के पास वर्तमान में 14/15 लाख बोरी का स्तर रह गया है वह भी मजबूत हाथों में है। कमजोर स्टॉक के कारण मंडियों में जीरे की आवक भी काफी कम रह गई है। वर्तमान में निर्यातकों की मांग भी कम है। अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही बांग्ला देश की मांग बढ़ेगी। जिस कारण से जल्दी ही कीमतों में वृद्धि होगी।
घटेगी खपत
सूत्रों का मानना है कि कीमतों में रिकॉर्ड तेजी आने के कारण लोकल खपत में 20/25 प्रतिशत की कमी आने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। आमतौर पर हमारी प्रति माह खपत लगभग 4/4.50 लाख बोरी की रहती है। निर्यात मांग भी प्रभावित होगी।
बढ़ेगी बिजाई
जीरे की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी आने के कारण आगामी सीजन के लिए उत्पादक केन्द्रों पर जीरे का बिजाई क्षेत्रफल में अवश्य ही वृद्धि होगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात एवं राजस्थान में जीरा की बिजाई दोगुणा या अधिक हो सकती है। जीरे की बिजाई दीपावली के आसपास होती है। जबकि गुजरात की फसल जनवरी-फरवरी एवं राजस्थान की फसल मार्च-अप्रैल माह में आती है।
घटेगा निर्यात
भाव अधिक होने के कारण दूसरे वर्ष भी जीरा का निर्यात घटने का अनुमान लगाया जा रहा है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021-22 के दौरान जीरा का निर्यात 216970.69 टन का हुआ था जोकि वर्ष 2022-23 में घटकर 186508.79 टन पर आ गया। वर्ष 2023-24 में भी निर्यात घटने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। क्योंकि भावों में रिकॉर्ड तेजी आई है।