iGrain India - लुधियाना । केन्द्रीय पूल में चावल का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य- पंजाब में चालू खरीफ सीजन के दौरान अब तक 27.30 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हो चुकी है।
इसमें से करीब 60 हजार हेक्टेयर में बिजाई पद्धति (डीएसआर) से तथा शेष क्षेत्रफल में रोपाई पद्धति से धान की खेती हुई है।
चालू वर्ष के दौरान पंजाब में 31.67 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसमें 6 लाख हेक्टेयर में बासमती धान की खेती भी शामिल है। अब तक राज्य में नियत लक्ष्य के मुकाबले 86 प्रतिशत भाग में धान की खेती पूरी हो चुकी है।
दरअसल पंजाब सरकार धान के कुल क्षेत्रफल को घटाने का प्रयास कर रही है ताकि पानी की बचत की जा सके। इसके लिए मक्का एवं मूंग के साथ-साथ बासमती धान की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
पंजाब कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार इस बार अब तक लुधियाना जिले में सर्वाधिक 2.21 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है। इसके बाद संगरूर जिले में क्षेत्रफल 2.05 लाख हेक्टेयर, पटियाला में 2.00 लाख हेक्टेयर, मुक्तसर साहिब में 1.79 लाख, भटिंडा में 1.65 लाख, अमृतसर में 1.59 लाख, फिरोजपुर में 1.57 लाख, तरन तारन में 1.52 लाख, गुरदासपुर में 1.51 लाख तथा मोगा जिले में 1.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है।
इसके अलावा धान का उत्पादन क्षेत्र जालंधर में 1.42 लाख हेक्टेयर, मनसा में 1.10 लाख टन फाजिल्का जिले में 1.03 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया।
कृषि विभाग के मुताबिक पंजाब में सामान्य श्रेणी के धान की खेती लगभग पूरी हो चुकी है और अब मुख्यत: बासमती धान की खेती हो रही है। सामान्य श्रेणी के मुकाबले बासमती धान के पकने में 25-30 दिन कम लगता है और इसकी अधिकांश खेती जुलाई में की जाती है।