iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून की तीव्रता एवं गतिशीलता बढ़ने के कारण 20 जून के बाद से देश के अनेक राज्यों में जोरदार बारिश हो रही है और कई क्षेत्रों में बाढ़ का गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
विभिन्न इलाकों में खेत जलमग्न हो गये हैं और खरीफ कालीन फसलें उसमें डूब गई हैं। इससे न केवल किसानों को भारी नुकसान हो रहा है बल्कि खाद्य महंगाई के बढ़ने की आशंका भी पैदा हो गई है।
सब्जियों के दाम पहले ही आसमान पर पहुंच चुके हैं जबकि चावल, दाल-दलहन एवं तेल-तिलहन की कीमतों में भी तेजी की सुगबुगाहट शुरू हो सकती है।
हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं उत्तराखंड में बाढ़-बारिश का ज्यादा प्रकोप है। इसी तरह गुजरात एवं राजस्थान का कुछ इलाका भी अतिवृष्टि का शिकार हो गया है।
विश्लेषकों के अनुसार बेशक आगामी समय में इन राज्यों में वर्षा की तीव्रता में भारी कमी आएगी लेकिन तब तक वहां खरीफ फसलों को काफी नुकसान हो सकता है।
ध्यान देने की बात है कि इन राज्यों में खरीफ फसलों की अगैती खेती होती है। एक अग्रणी एग्री कॉमोडिटी मार्केट रिसर्च फर्म- आई ग्रेन इंडिया के डयरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि मूसलाधार वर्षा एवं स्थानीय स्तर की बाढ़ के कारण मूंग, उड़द, मूंगफली तथा सोयाबीन की 10-15 प्रतिशत फसल क्षतिग्रस्त हो सकती है जिससे इसकी कीमतों में तेजी का अच्छा माहौल बन सकता है।
लेकिन यह बारिश पंजाब तथा हरियाणा में धान की फसल के लिए सहायक साबित हो सकती है। उत्तरी एवं पश्चिमोत्तर राज्यों में अत्यधिक बारिश के कारण कपास, दलहन और तिलहन फसलों को नुकसान होगा। चूंकि अभी खेतों में पानी भरा हुआ है इसलिए वहां दोबारा बिजाई भी संभव नहीं हो पाएगी।
राजस्थान में दीर्घकालीन औसत (एलपीए) के मुकाबले 10 जुलाई तक करीब 60 प्रतिशत अधिक बारिश हुई जबकि गुजरात में 15 प्रतिशत ज्यादा वर्षा दर्ज की गई। बिपरजॉय तूफान के कारण इन दोनों राज्यों के कई जिलों में मध्य जून के आसपास जोरदार बारिश हुई थी।
इससे वहां खरीफ फसलों की बिजाई जल्दी शुरू हो गई। हाल के दिनों में हुई प्रचंड वर्षा से उन फसलों को काफी नुकसान होने की आशंका है।
समीक्षकों का कहना है कि क्षति का वास्तविक आंकलन वर्षा का दौर थमने के बाद ही संभव हो पाएगा लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए 10-15 प्रतिशत के नुकसान का मोटा अनुमान लगाया जा सकता है।