iGrain India - नई दिल्ली । खरीफ कालीन तिलहन फसलों की बिजाई में मिश्रित रुख देखा जा रहा है। गत वर्ष के मुकाबले इस बार कुछ फसलों का रकबा आगे चल रहा है जिसमें मूंगफली, तिल और अरंडी शामिल है जबकि दूसरी ओर सोयाबीन एवं सूरजमुखी का क्षेत्रफल पीछे है।
7 जुलाई तक तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र घटकर 61.10 लाख हेक्टेयर रह गया जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 71.30 लाख हेक्टेयर से 10.20 लाख हेक्टेयर कम था।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र 20.20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.80 लाख हेक्टेयर, तिल का बिजाई क्षेत्र 1.52 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 2.06 लाख हेक्टेयर तथा अरंडी का क्षेत्रफल 6 हजार हेक्टेयर से उछलकर 24 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया जबकि दूसरी ओर सूरजमुखी का रकबा 1.15 लाख हेक्टेयर से घटकर 31 हजार हेक्टेयर एवं सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 48.28 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 35.63 लाख हेक्टेयर रह गया।
महाराष्ट्र में सोयाबीन की बिजाई काफी कम होने की खबर मिल रही है क्योंकि वहां मानसून की वर्षा का अभाव बना हुआ है। वैसे सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) का मानना है कि महाराष्ट्र में सोयाबीन की बिजाई सरकारी आंकड़े से काफी अधिक हुई है और मध्य प्रदेश में भी रकबा बेहतर है।
जहां तक मूंगफली का सवाल है तो गुजरात एवं राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक प्रांतों में अच्छी वर्षा का सहारा मिलने से इसके उत्पादन क्षेत्र में इजाफा हुआ है और बिजाई प्रक्रिया जारी रहने से आगे भी क्षेत्रफल में वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है।
अरंडी की खेती अभी इन दोनों राज्यों में जोर नहीं पकड़ पाई है और केवल दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में ही मुख्य रूप से हुई है। जल्दी ही गुजरात और राजस्थान में भी इसकी जोरदार बिजाई होने लगेगी और तब इसका क्षेत्रफल तेजी से बढ़ने लगेगा।