iGrain India - कीव । यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह से अनाज की खेप लादकर अंतिम जहाज रवाना हो गया। रूस-यूक्रेन के बीच हुए करार की समयसीमा आज यानी 17 जुलाई को समाप्त हो रही है और इसकी अवधि आगे बढ़ाए जाने के बारे में अभी तक रूस की तरफ से कोई संकेत नहीं दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि कालासागर क्षेत्र में अवस्थित इन दोनों प्रमुख अनाज निर्यातक देशों (रूस-यूक्रेन) में 1 जुलाई से 2023-24 का नया मार्केटिंग सीजन आरंभ हो गया है और ऐसी हालत में अगर यूक्रेन को काला सागर क्षेत्र के बंदरगाहों से अनाज (मुख्यत: गेहूं, मक्का एवं जौ) का निर्यात शिपमेंट करने में सफलता नहीं मिली तो वैश्विक बाजार में इसका अभाव उत्पन्न होगा और भाव बढ़ जाएगा।
इससे रूस को सीधा फायदा होने की उम्मीद है। पिछली बार भी रूस ने काफी मान-मनोबल के बाद करार की समय सीमा को दो माह के लिए बढ़ाया था।
दरअसल करार की शर्तों का पालन नहीं होने से रूस काफी चिंतित- क्रोधित है। जब पहली बार जुलाई 2022 में यह करार हुआ तब संयुक्त राष्ट्र संघ ने आश्वासन दिया था कि वह रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध को कम या खत्म करने के लिए अमरीका तथा पश्चिमी देशों को मनाने का हर संभव प्रयास करेगा लेकिन एक साल का समय बीतने के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
करार की दूसरी शर्त यह थी कि यूक्रेन केवल जरूरत मंद एवं गरीब देशों को अनाज का निर्यात करेगा लेकिन यूक्रेन ने इसके बजाए पश्चिमी यूरोप के मित्र देशों को इसका भारी शिपमेंट किया जबकि उन देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखा है।
रूस इस करार की अवधि बढ़ाने के लिए तब तक सहमत नहीं होगा जब तक अनाज एवं उर्वरक के सम्बन्ध में उसकी मांग पूरी नहीं की जाती। वैसे आर्थिक प्रतिबंध के बावजूद रूस से 2022-23 सीजन के दौरान गेहूं का निर्यात बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। अब यूक्रेन का संकट बढ़ने की आशंका है।