iGrain India - नई दिल्ली । वर्तमान समय में सरकार के पास चावल और गेहूं का संतुलित स्टॉक है जबकि आगे मानसून एवं अल नीनो का असर बाजार तथा उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।
अल नीनो की वजह से केवल धान-चावल ही नहीं बल्कि गेहूं के उत्पादन में भी अनिश्चितता पैदा हो सकती है जिससे खाद्यान्न के वितरण एवं निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है। यदि अल नीनो का प्रभाव ज्यादा तीव्र या लम्बा नहीं रहा तो स्थिति सामान्य रहेगी और घबराने या चिंता करने वाली बात नहीं होगी।
केन्द्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मुफ्त में प्रतिमाह 5 किलो खाद्यान्न (चावल / गेहूं) उपलब्ध करवाती है। इसके अलावा कुछ अन्य योजनाओं के लिए भी इसका वितरण किया जाता है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि तीन साल पूर्व जब देश में कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी तब उन ग़रीब एवं वंचित लोगों को बड़े पैमाने पर कैश ट्रांसफर के लिए केन्द्र और राज्यों के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे किसी की नौकरी छूट गई थी या आमदनी का स्रोत बंद हो गया था।
लेकिन केन्द्रीय पूल में चावल और गेहूं का भरपूर स्टॉक मौजूद था और सरकार ने इसका सहारा लेते हुए उन लोगों को पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध करवा दिया। करीब 81.35 करोड़ लोगों को 10 किलो प्रति व्यक्ति प्रतिमाह अनाज दिया गया।
अप्रैल 2020 से दिसम्बर 2022 तक यह प्रक्रिया चलती रही। इसके तहत वित्त वर्ष 2020 -21 में कुल 929 लाख टन खाद्यान्न का उठाव हुआ। 2021-22 में इसकी मात्रा बढ़कर 1056 लाख टन पर पहुंची जबकि 2022-23 में 927 लाख टन दर्ज की गई।
ज्ञात हो कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद शुरूआती सात वर्षों (2013-14 से 2019-20 तक) के दौरान प्रत्येक साल औसतन 625 लाख टन तथा उससे पूर्व के सात वर्षों में 484 लाख टन खाद्यान्न का सालाना वितरण हुआ था।
अब सरकार के पास इतना विशाल स्टॉक ही मौजूद नहीं है इसलिए उसे इसके वितरण में काफी सावधानी बरतनी पड़ रही है। खाद्यान्न का कोटा भी घटाया जा चुका है।