iGrain India - कोयम्बटूर । चूंकि रूई का भाव अब भी ऊंचा चल रहा है जबकि कॉटन यार्न की मांग एवं कीमत घट गई है इसलिए तमिलनाडु में स्पिनिंग इकाइयों की आर्थिक स्थिति लगातार दयनीय होती जा रही है।
तमिलनाडु स्पिनिंग मिल्स एसोसिएशन का कहना है कि लम्बे समय से जारी रूस-यूकेन युद्ध और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न आर्थिक संकट के कारण कपड़ा उद्योग अभी बहुत कठिन दौर से गुजर रहा है।
एसोसिएशन ने इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) से संकट ग्रस्त स्पिनिंग सेक्टर को वित्तीय सहयोग- समर्थन देने का आग्रह किया है।
आईबीए के सदस्य- सचिव को भेजे एक पत्र में एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कोरोना काल के दौरान स्पिनिंग मिलों द्वारा लिए गये ऋण की मूल राशि के पुर्नभुगतान हेतु एक वर्षीय मोरेटोरियम का विस्तार करने का आग्रह किया है और ईसीएलजीएस के तहत तीन वर्षीय ऋण को छह वर्षीय टर्म लोन में बदलने की गुजारिश की है।
इसके अलावा आईबीए से मामला दर मामला आधार पर क्रियाशील पूंजी के संकट को दूर करने हेतु आवश्यक वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया गया है।
अध्यक्ष का कहना था कि मुख्य रूप से रूई (कपास) पर आधारित भारतीय स्पिनिंग क्षेत्र उनके कारकों की वजह से पिछले दो वर्षों से भयंकर संकट का सामना कर रहा है।
असली समस्या अनेक देशों में आर्थिक मंदी की है जिससे कॉटन यार्न एवं फैब्रिक्स का निर्यात प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा प्रतिस्पर्धी मूल्य पर कच्चे माल (रूई) की आपूर्ति भी नहीं हो रही है जिससे तैयार उत्पादों का लागत खर्च ऊंचा बैठ रहा है।
रूई के आयात पर 11 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है जिससे आयातक माल का खर्च 10-15 प्रतिशत ऊंचा हो जाता है। सरकार को यह शुल्क तत्काल वापस लेना चाहिए।