iGrain India - नई दिल्ली । मानसूनी वर्षा के वितरण में क्षेत्रीय असमानता के कारण धान तथा दलहन फसलों की बिजाई प्रभावित हो रही है। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर कुछ वर्षा लगभग सामान्य हुई है और खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र भी पिछले साल के कुछ करीब आ गया है लेकिन धान अरहर (तुवर), उड़द एवं कपास का रकबा काफी पीछे चल रहा है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि इस बार 18 जुलाई तक खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 598 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जो पिछले साल से महज 1.61 प्रतिशत कम है। खरीफ फसलों का सामान्य औसत क्षेत्रफल इस बार 1090 लाख हेक्टेयर आंका गया है जिसके सापेक्ष अब तक 54 प्रतिशत क्षेत्र में बिजाई पूरी हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार देश के कुल 717 जिलों में से 63 प्रतिशत में वर्षा सामान्य या इससे अधिक हुई है जबकि 263 जिलों में मानसून की बारिश अपर्याप्त या बहुत कम हुई है। इसके तहत महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा तथा बिहार जैसे राज्य शामिल हैं जिसके अनेक जिलों में बारिश का आभाव बना हुआ है।
राष्ट्रीय स्तर पर इस बार मानसून की वर्षा सामान्य औसत के लगभग बराबर हुई है। समीक्षकों के अनुसार धान, मक्का एवं दलहनों की बिजाई में कमी चिंता का विषय है। अभी अल नीनो का प्रकोप आरंभ नहीं हुआ है तब यह हाल है।
आगे यदि इसका गंभीर प्रकोप रहा तो स्थिति और भी खराब हो सकती है। बिजाई क्षेत्र में कमी के साथ-साथ फसल की औसत उपज दर भी घट सकती है जिससे कुल उत्पादन में गिरावट की आशंका रहेगी। अच्छी बात यह है कि नए-नए क्षेत्रों में मानसून की बारिश होने लगी है।
जिससे धान के उत्पादन क्षेत्र में कमी का अंतर 10 दिन पूर्व के 23.9 प्रतिशत से घटकर अब 6.3 प्रतिशत पर आ गया है। दलहन फसलों का रकबा 13.28 प्रतिशत पीछे चल रहा है।
एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (इपगा) के अनुसार अगले दो सप्ताहों के दौरान दलहन फसलों की बिजाई में अच्छी तेजी आ सकती है। किसान तो तुवर-उड़द का रकबा बढ़ाने के लिए तैयार है मगर अब तक उन्हें अच्छी बारिश का सहारा नहीं मिल सका है।