iGrain India - राजकोट । हालांकि मसाला बोर्ड ने अपने प्रथम अग्रिम अनुमान में जीरा का घरेलू उत्पादन बढ़कर 2022-23 के सीजन में 6,27,031 टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की है जो 2021-22 सीजन के उत्पादन से 13 प्रतिशत अधिक है लेकिन उद्योग- व्यापार क्षेत्र सहमत नहीं है।
उसका मानना है कि जीरा का वास्तविक उत्पादन 8-12 प्रतिशत घटकर 65 लाख बोरी के आसपास सिमट गया है जो आरंभिक अनुमान 75 लाख बोरी से भी 10 लाख बोरी कम है।
दरअसल देश के दो शीर्ष उत्पादक राज्यों- गुजरात एवं राजस्थान में इस वर्ष मार्च-अप्रैल के दौरान मौसम के प्रतिकूल होने से जीरे की फसल को काफी नुकसान हो गया लेकिन ऐसा लगता है कि मसाला बोर्ड ने इस क्षति को बहुत कम करके आंका है।
जनवरी 2023 में इंटरनेशनल स्पाइस कांफ्रेंस आयोजित हुआ था जिसमें 2022-23 सीजन के दौरान भारत में जीरा का उत्पादन बढ़कर 4.14 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया था।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व 2021-22 के सीजन में 3.88 लाख टन का उत्पादन आंका गया था जो 2020-21 सीजन के उत्पादन से करीब 20 प्रतिशत कम था। इसके आधार पर जीरा का वैश्विक उत्पादन भी 4.08 लाख टन से बढ़कर 4.35 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की गया थी।
लेकिन पिछला बकाया स्टॉक कम होने के कारण भारत में इसकी कुल उपलब्धता 7 प्रतिशत कम होने तथा बाजार भाव ऊंचा एवं तेज रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था।
लेकिन गुजरात एवं राजस्थान में मार्च के दौरान भारी बेमौसमी बारिश होने तथा अप्रैल में गर्म हवा की लहर (हीट वेव) चलने से जीरा की फसल प्रभावित हो गई। गुजरात में जीरा का उत्पादन 9.3 प्रतिशत घटकर 2 लाख टन के करीब रह जाने की संभावना है।
सीरिया एवं तुर्की जैसे देशों से जीरा का निर्यात नगण्य हो रहा है जिससे भारतीय उत्पाद की निर्यात मांग काफी मजबूत बनी हुई है। मसाला बोर्ड के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से जीरा का निर्यात 14 प्रतिशत घटकर 1,86,509 टन रह गया।