iGrain India - निजामाबाद । देश के प्रमुख हल्दी उत्पादक राज्यों- तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र के कुछ खास उत्पादक क्षेत्रों में इस महत्वपूर्ण मसाला फसल की बिजाई की गति पिछले साल के मुकाबले इस बार धीमी चल रही है।
एक तो मौसम एवं वर्षा की हालत वहां अनुकूल नहीं है और दूसरे, हल्दी के बीज का भी अभाव बना हुआ है। हल्दी बीज का दाम भी उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।
पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान अभी तक 65-70 प्रतिशत क्षेत्र में ही हल्दी की बिजाई संभव हो सकी है। तमिलनाडु सहित अन्य दक्षिणी राज्यों में किसानों को हल्दी का बीज हासिल करने में सफलता मिल सकती है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि आदर्श बिजाई अवधि में कुछ इलाकों में इसकी खेती संभव नहीं हो पाएगी।
हल्दी के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट आने का एक प्रमुख कारण किसानों को कम आमदनी प्राप्त होना रहा। उत्पादक राज्यों में किसानों को हल्दी की तुलना में कपास तथा मक्का की खेती से अधिक फायदा हुआ।
हालांकि अब हल्दी का भाव काफी तेज हुआ है लेकिन कुछ माह पूर्व तक या स्थिर या नरम चल रहा था। स्टॉकिस्टों को भी हल्दी के कारोबार से कम फायदा होने की उम्मीद थी। उद्योग-व्यापार क्षेत्र के अनुसार पिछले साल हल्दी का उत्पादन क्षेत्र 1.75 लाख हेक्टेयर के करीब पहुंचा था जो चालू वर्ष में करीब 12 प्रतिशत घट सकता है।
यदि आगे भी मौसम एवं वर्षा की हालत अच्छी नहीं रही तो हल्दी की औसत उपज दर एवं कुल पैदावार में काफी गिरावट आ सकती है। इससे बाजार भाव उछलकर वर्ष 2010 के रिकॉर्ड स्तर 170 रुपए प्रति किलो से भी ऊपर पहुंच सकता है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार हल्दी के उत्पादकों एवं व्यापारियों के लिए यह एक लाभदायक वर्ष (सीजन) साबित हो सकता है। आगामी महीनों के दौरान इस मसाले के दाम में क्रमिक रूप से अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।
मार्च में बेमौसमी वर्षा होने से हल्दी की फसल क्षतिग्रस्त हुई थी और खासकर इसकी क्वालिटी खराब हो गई थी। इसके फलस्वरूप अच्छी क्वालिटी की हल्दी बहुत कम मात्रा में उपलब्ध है और निर्यातक ऊंचे दाम पर इसकी खरीद कर रहे हैं क्योंकि वैश्विक मांग काफी मजबूत बनी हुई है।