iGrain India - चंडीगढ़ । पंजाब के कृषि विभाग ने कहा है कि जिन इलाकों में भयंकर बाढ़ के कारण धान के पौधे पूरी तरह बर्बाद हो गये हैं वहां किसानों को अब मूंग तथा मक्का की खेती शुरू करनी चाहिए जिसकी परिपक्वता अवधि कम होती है।
कृषि विभाग के मुताबिक बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में धान की दोबारा रोपाई अब संभव नहीं हो पायेगी क्योंकि इसका आदर्श समय पहले ही बीत चुका है और यदि अब रोपाई की गई तो इसका अच्छा परिणाम सामने नहीं आएगा तथा किसानों को नुकसान हो जाएगा।
ऐसी हालत में खेतों को खाली छोड़ने के बजाए उसमें मूंग एवं मक्का की खेती करने पर किसानों को फायदा हो सकता है। कृषि विभाग इन दोनों फसलों के लिए बीज का प्रबंध कर रहा है ताकि इसकी बिजाई संभव हो सके।
समझा जाता है कि चालू माह के आरंभ में पंजाब में आई भयंकर बाढ़ के कारण 2.60 लाख एकड़ जमीन में फसलें बर्बाद हो गईं। कृषि निदेशक के मुताबिक आरम्भिक जांच-पड़ताल से पता चलता है कि धान की फसल को सर्वाधिक नुकसान पटियाला जिले में हुआ है जहां करीब 1.25 लाख एकड़ में फसल चौपट हो गई है।
इसके बाद संगरूर, रोपड़ तथा तरन तारन जिले में धान की फसल क्षतिग्रस्त हुई है। कुल मिलाकर पंजाब में करीब 19 जिलों में बाढ़ से फसल के प्रभावित होने की खबर मिल रही है।
हालांकि कृषि विभाग ने धान के बिचड़े (नवजात नर्सरी पौधे) की दुबारा रोपाई के लिए दिशा निर्देश की एक श्रृंखला जारी की है लेकिन इसके लिए किसानों के पास बहुत कम समय उपलब्ध है।
इसके फलस्वरूप उसे मूंग-मक्का की खेती का सुझाव दिया जा रहा है। मालूम हो कि पंजाब केन्द्रीय पूल में धान- चावल का योगदान देने वाला सबसे अग्रणी राज्य है।
कृषि विभाग के मुताबिक किसानों को पहले बाढ़ का पानी अपने खेतों से बाहर निकालना पड़ेगा और उसके बाद धान के बिचड़े की दोबारा रोपाई करनी पड़ेगी।
किसानों को चालू मार्केटिंग सीजन में कुछ आमदनी सुनिश्चित करने के लिए बेहतर विकल्प यही है कि वे धान की रोपाई का इरादा त्यागकर मक्का और मूंग की खेती पर ध्यान दें। मक्का फसल का उपयोग पशु चारा के रूप में भी किया जा सकता है जिसका भाव काफी ऊंचा हो गया है।