iGrain India - नई दिल्ली । चालू वर्ष के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून की हालत अजीबोगरीब देखी जा रही है। जून में एक सप्ताह की देरी से केरल पहुंचने वाला मानसून करीब 15 दिनों तक सुस्त रहा और उसके बाद अचानक उग्र एवं सक्रिय हो गया।
सक्रियता के चरण में वर्षा का वितरण काफी हद तक असमान एवं बेतरतीव देखा जा रहा है। अनेक क्षेत्रों में प्रचंड मुसलाधार बारिश होने से भयंकर बाढ़ एवं जल भराव का प्रकोप बढ़ गया जबकि कई इलाके सूखा एवं अनावृष्टि की चपेट में फंसे रह गए। मौसम विभाग के अनुसार 20 जुलाई तक देश के 41 प्रतिशत जिलों में मानसून की वर्षा कम, बहुत कम या अपर्याप्त हुई थी।
देश के पश्चिमोत्तर भाग में बहुत ज्यादा बारिश होने से पंजाब जैसे राज्यों में बाढ़ का प्रकोप देखा जा रहा है जबकि कुछ अन्य क्षेत्रों में वर्षा का इंतजार किया जा रहा है।
देश के सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र- गंगा-सिंधु के मैदान में बारिश की कमी से धान की रोपाई में बाधा बाधित हो रही है। बिहार के दक्षिणी भाग में स्थिति बहुत खराब है और वहां धान की रोपाई 15 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंची है। इसी तरह पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिमी बंगाल में बारिश का अभाव है और किसान बड़ी बेसब्री से इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि उपरोक्त राज्यों में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
यद्यपि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्तर पर धान का कुल उत्पादन क्षेत्र पिछले साल से 4.73 लाख हेक्टेयर आगे निकल चुका है लेकिन इसके बावजूद देश के करीब 200 जिलों में वर्षा कम या अपर्याप्त हुई है इसलिए आगे धान की खेती सुस्त गति से हो सकती है।
पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश में धान की रोपाई लगभग समाप्त हो चुकी है जबकि अन्य राज्यों में अभी जारी है।
मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भाग के 31 जिलों, बिहार तथा झारखंड एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के छह राज्यों में बारिश की संभावना अगले कुछ दिनों तक बहुत कम है।
उत्तर प्रदेश के उपरोक्त जिलों में चालू माह के दौरान 60 प्रतिशत एवं सात अन्य जिलों में 40 प्रतिशत से कम बारिश हुई। इसी तरह सामान्य औसत की तुलना में इस बार बिहार में 47 प्रतिशत तथा झारखंड में 45 प्रतिशत कम वर्षा होने की सूचना है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार 21 जुलाई 2023 तक धान का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 180.20 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो गत वर्ष की समान अवधि के क्षेत्रफल 175.47 लाख हेक्टेयर से 4.73 लाख हेक्टेयर ज्यादा था।