iGrain India - कोच्चि । दक्षिण भारत के प्राद्वीपीय क्षेत्र में होने वाली वर्षा आमतौर पर मसाला फसलों के लिए लाभदायक साबित होगी लेकिन छोटी इलायची के नए माल की तुड़ाई-तैयारी में कुछ बाधा पड़ने की संभावना है।
कालीमिर्च की फसल को बारिश से काफी राहत मिलने की उम्मीद है। कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु में अच्छी बारिश की जरूरत महसूस की जा रही थी क्योंकि वहां मौसम एवं गर्म होने से मसाला फसलों को नुकसान होने की आशंका थी।
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र एवं उड़ीसा में वर्षा से हल्दी की फसल को राहत मिलेगी। दक्षिण भारत में लालमिर्च की फसल को भी बारिश की जरूरत थी।
छोटी इलायची का भाव ऊंचे स्तर पहुंच गया है। इसके नए माल की तुड़ाई-तैयारी में देर होने से नीलामी केन्द्रों में आवक घटने लगी है। ज्ञात हो कि 1 अगस्त से इलायची का नया मार्केटिंग सीजन औपचारिक तौर पर आरंभ हो जाएगा।
इस बार फसल कुछ कमजोर बताई जा रही है क्योंकि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में मानसून-पूर्व की अच्छी वर्षा नहीं होने से इसका सीमित विकास-विस्तार हो सका।
कालीमिर्च के नए माल की आवक दिसम्बर से तथा हल्दी एवं लालमिर्च की जनवरी-फरवरी से छिटपुट तौर पर शुरू हो जाती है।
मध्य अगस्त में अधिमास (मलमास) समाप्त होने के बाद त्यौहारी सीजन शुरू हो जाएगा जिसमें इलायची की मांग बढ़ने की उम्मीद है।
अन्य मसालों की खपत में भी कुछ इजाफा हो सकता है। वैसे जीरा, हल्दी, धनिया एवं लालमिर्च का बाजार भाव काफी ऊंचा चल रहा है जिससे पीछे-पीछे अब कालीमिर्च भी मजबूत होने लगी है। ज्ञात हो कि दक्षिण भारत में मसाला फसलों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।