iGrain India - सेंट पीट्सबर्ग । रूस ने स्पष्ट कर दिया है कि अब केवल वादों और आश्वासनों से काम नहीं चलेगा। जब तक यह संकेत नहीं मिलता कि उसकी शर्तों को पूरा करने के लिए ठोस प्रयास किया जा रहा है और उसका सकारात्मक परिणाम सामने आ रहा है तब तक यूक्रेन के साथ दोबारा करार नहीं किया जाएगा।
जुलाई 2022 में तुर्की की उपस्थिति एवं संयुक्त राष्ट्र संघ की मध्यस्थता में रूस-यूक्रेन के बीच अनाज निर्यात नौवहन संधि पर हस्ताक्षर होने से पूर्व रूस ने कुछ शर्तें रखी थीं और संयुक्त राष्ट्र ने इन शर्तों को पूरा करवाने में मदद का आश्वासन दिया था लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी जब कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया तब रूस को अहसास हुआ कि उसके साथ छल हुआ है और इसलिए उसने करार को भंग कर दिया।
इस एक साल की अवधि के दौरान यूक्रेन के काला सागर क्षेत्र के बंदरगाहों से 1000 से अधिक जहाजों में दुनिया के 45 देशों को करीब 329 लाख टन अनाज का निर्यात किया गया जिसमें 169 लाख टन मक्का, 89 लाख टन गेहूं एवं 12.70 लाख टन जौ का शिपमेंट भी शामिल था।
ज्ञात हो कि रूस के साथ युद्ध शुरू होने से पूर्व यूक्रेन से 300 लाख टन तक मक्का, 210 लाख टन गेहूं एवं 60 लाख टन तक जौ का वार्षिक निर्यात हो रहा था।
हालांकि रूस ने आरोप लगाया है कि इस अवधि के दौरान अफ्रीका के गरीब एवं जरूरतमंद देशों को यूक्रेन से 3 प्रतिशत से भी कम अनाज का निर्यात हुआ जबकि इस पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत थी लेकिन इस्तांबुल (तुर्की) स्थित ज्वाइंट को ऑर्डिनेशन सेंटर (जेसीसी) का कहना है कि यूक्रेन से 57 प्रतिशत अनाज का निर्यात विकासशील देशों को तथा 43 प्रतिशत का शिपमेंट विकसित देशों को हुआ।
इसमें को सर्वाधिक 79.60 लाख टन, स्पेन को 59.80 लाख टन, तुर्की को 32.40 लाख टन, इटली को 20.60 लाख टन, हॉलैंड को 19.60 लाख टन, मिस्र को 15.50 लाख टन तथा बांग्ला देश को 10.70 लाख टन अनाज का निर्यात हुआ।
इन सात देशों को यूक्रेन से 72.4 प्रतिशत अनाज का निर्यात शिपमेंट किया गया। रूस ने कहा है कि वादा के अनुसार यूक्रेन गरीब देशों को ज्यादा अनाज बेचने में सफल रहा और पश्चिमी देशों को इसका शिपमेंट बढ़ाता रहा जो इसे विविध रूप में सैन्य सहायता दे रहे थे।
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के तहत यूक्रेन ने केवल 7.25 लाख टन अनाज की आपूर्ति की जिसका वितरण दुनिया के सबसे गरीब देशों को किया गया।