iGrain India - मुम्बई । पिछले कुछ महीनों से मसाला बाजार में तेजी-मजबूती का माहौल हुआ है और निकट भविष्य में इसमें ज्यादा नरमी आने की संभावना नहीं है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मसालों की महंगाई दर 19.2 प्रतिशत दर्ज की गई।
इसके तहत जीरा, हल्दी एवं अदरक (सौंठ) के दाम में भारी इजाफा हुआ। जीरा का उत्पादन कम होने एवं मांग मजबूत रहने से भाव तेजी से ऊपर उठ गया जबकि हल्दी में तेजी का कारण बिजाई क्षेत्र में गिरावट आना रहा। उत्पादक क्षेत्रों में मौसम प्रतिकूल होने से इसकी औसत उपज दर एवं क्वालिटी भी प्रभावित होने की आशंका है।
वर्तमान समय में गुजरात की ऊंझा मंडी में जीरा का भाव गत वर्ष के मुकाबले करीब तीन गुणा ऊंचा चल रहा है। इसका दाम उछलकर 57,500-60,500 रुपए प्रति क्विंटल के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है लेकिन फिर भी मंडी में इसकी सीमित आवक हो रही है।
इसी तरह तेलंगाना में स्थित निजामाबाद मंडी में हल्दी का भाव गत वर्ष के मुकाबले करीब दोगुना बढ़कर 11,000-11,800 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच गया है जो वर्ष 2010 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।
उधर कर्नाटक की उडुपी मंडी में हरी अदरक का दाम चालू सप्ताह में उछलकर 14,000-15,200 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है जो पिछले साल महज 4000-4500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था।
वर्ष 2022 के मध्य से ही मसालों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर बढ़ने लगी थी जिससे कुल खाद्य महंगाई में इसकी भागीदारी बढ़कर 24 प्रतिशत पर पहुंच गई।
हालांकि अनाज, दाल एवं सब्जी के मुकाबले मसालों की खपत काफी कम होती है लेकिन इसका भाव उछलने से आम लोगों को काफी कठिनाई हो रही है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार आगामी समय में मसालों का भाव ऊंचा एवं तेज रहने की उम्मीद है क्योंकि इसका स्टॉक कम है और अगले महीने से त्यौहारी सीजन आरंभ होने वाला है। ऊंचे दाम के बावजूद जीरा, हल्दी एवं सौंठ का निर्यात जारी है।
मसालों की फसल सीजनल होती है और मौसम का इस पर गहरा असर पड़ता है। जीरा का घरेलू उत्पादन पहले ही घट चुके है जबकि इस बार मानसूनी वर्षा के अभाव में हल्दी का बिजाई क्षेत्र 10-12 प्रतिशत तक घटने की संभावना है।
ऊंचे दाम के कारण उत्पादक एवं स्टॉकिस्ट अपने स्टॉक की बिक्री बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। इससे स्टॉक पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। नई फसल अब अगले वर्ष आएगी।
तब तक मौजूदा स्टॉक से ही घरेलू एवं निर्यात मांग को पूरा करना पड़ेगा। अन्य मसालों के दाम में भी तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है।