iGrain India - राजकोट । जीरा एक रबी कालीन मसाला फसल है जिसकी बिजाई अक्टूबर-दिसम्बर में तथा कटाई-तैयारी फरवरी-अप्रैल में होती है। प्रमुख उत्पादक मंडियों में जून तक इसकी अच्छी आवक होती है और उसके बाद आपूर्ति का ऑफ या लीन सीजन शुरू हो जाता है। जुलाई से मंडियों में जीरा की आवक घटने लगती है।
पिछले तीन साल से इसके बिजाई क्षेत्र में गिरावट का रुख देखा जा रहा है जिससे उत्पादन एवं बकाया स्टॉक में कमी आ रही है। गुजरात में इसका क्षेत्रफल 2021-22 के 3.07 लाख हेक्टेयर से घटकर 2022-23 के सीजन में 2.76 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जो तीन वर्षीय औसत क्षेत्रफल 4.21 लाख हेक्टेयर से भी बहुत कम था।
जीरा का उत्पादन मुख्यत: गुजरात एवं राजस्थान में होता है। एक तरफ जीरा का बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन घट रहा है तो दूसरी ओर इसकी मांग एवं खपत में बढ़ोत्तरी होती जा रही है।
घरेलू खपत के साथ-साथ देश से बड़े पैमाने पर इसका निर्यात भी किया जाता है। चालू वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों यानी अप्रैल-मई 2023 में देश से जीरा का निर्यात बढ़कर 405 लाख किलो पर पहुंच गया जो गत वर्ष के इन्हीं महीनों में 230 लाख किलो पर अटक गया था।
कीमतों में जोरदार बढ़ोत्तरी होने के बावजूद इसकी मांग में कमी नहीं आई है क्योंकि पिछले तीन-चार महीनों से भारत वैश्विक बाजार में इसका एक भाग प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश बना हुआ है।
मध्य जून में बिपरजॉय तूफान के कारण गुजरात एवं राजस्थान के अनेक जिलों में मूसलाधार बारिश होने से यातायात प्रभावित हुआ और मंडियों में जीरे की आवक घटने से कीमतों में भारी तेजी आने लगी।
इससे पूर्व मार्च-अप्रैल की बेमौसमी वर्षा से दोनों प्रमुख उत्पादक राज्यों में जीरे की फसल को नुकसान हुआ था। अभी मानसून की तेज बारिश एवं खरीफ फसलों की बिजाई में किसानों की व्यस्तता के कारण भी जीरा की आपूर्ति कम हो रही है।