iGrain India - नई दिल्ली । सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि चालू खरीफ सीजन में 21 जुलाई तक राष्ट्रीय स्तर पर तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 160.41 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो गत वर्ष की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 155.29 लाख हेक्टेयर से 5.12 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
खरीफ तिलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र का नया साप्ताहिक आंकड़ा 28 जुलाई को सामने आने की संभावना है। समीक्षाधीन अवधि में यद्यपि मूंगफली, सोयाबीन, तिल एवं अरंडी का क्षेत्रफल आगे चल रहा था लेकिन गुजरात के सौराष्ट्र संभाग में भारी वर्षा एवं बाढ़ से मूंगफली की फसल को काफी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।
कई क्षेत्रों में इसकी दोबारा बिजाई की आवश्यकता पड़ेगी। इसी तरह महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश के कुछ भागों में प्राकृतिक आपदाओं से सोयाबीन की फसल प्रभावित होने की सूचना मिल रही है।
केवल बिजाई क्षेत्र में इजाफा होने से तिलहन फसलों के बेहतर उत्पादन का अनुमान लगाना ठीक नहीं है। इसके लिए यह देखना आवश्यक होगा कि मौसम एवं वर्षा की हालत फसलों के लिए अनुकूल रही या नहीं ; और फसलों पर कीड़ों-रोगों का खतरनाक आघात तो नहीं हुआ। खरीफ तिलहन फसलों की बिजाई अभी जारी है इसलिए क्षेत्रफल में सुधार आने की गुंजाइश है।
जिन क्षेत्रों में फसलें बर्बाद हुई हैं वहां किसान तिलहनों की खेती दोबारा करते हैं या किसी अन्य फसल की तरफ मुड़ जाते हैं, यह देखना भी आवश्यक होगा। तिलहन फसलों की औसत उपज दर तथा क्वालिटी पर पड़ने वाले असर को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
मानसून की बारिश का असमान वितरण इस बार खरीफ फसलों की बिजाई तथा प्रगति को प्रभावित कर रहा है। सोयाबीन का थोक मंडी भाव सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है इसलिए इसकी खेती के प्रति किसानों में उत्साह एवं आकर्षण बरकरार है।
इसका उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 114.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 111.30 लाख हेक्टेयर से 3.20 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। मूंगफली का क्षेत्रफल भी कुछ आगे है।