iGrain India - हैदराबाद । अमरीका और कनाडा सहित अन्य देशों में रहने वाले भारतीय पूल के लोगों (एनआरआई) को कच्चे (सफेद) चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध से घबराने की जरूरत नहीं है।
अमरीका में सोना मसूरी चावल का कुल स्टॉक इतना है जिससे 3 से 6 माह तक की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। समझा जाता है कि अमरीकी व्यापरियों के पास अभी करीब 12 हजार टन सोना मसूर चावल का स्टॉक मौजूद है जबकि 18 हजार टन अतिरिक्त चावल वहां पहुंचने वाला है।
इस तरह कुल स्टॉक बढ़कर 30 हजार टन पर पहुंच जाएगा जो 5 हजार टन प्रति माह की औसत खपत के साथ कम से कम 6 माह की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
तेलंगाना स्टेट राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि सोना मसूर चावल का अधिकांश उपयोग अमरीका में दक्षिणी भारतीय लोगों द्वारा किया जाता है। भारत में तो सुबह शाम यानी दोनों वक्त इसका इस्तेमाल होता है मगर अमरीका में ऐसा नहीं होता है।
वहां प्रति माह करीब 5-6 हजार टन सोना मसूरी चावल की खपत होती है इसलिए फिलहाल एनआरआई को घबराने की आवश्यकता नहीं है।
मालूम हो कि भारत सरकार ने 20 जुलाई को सफेद किस्म वाले गैर बसमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इसकी परिधि में सोना मसूरी चावल भी आ गया।
इससे अमरीका और कनाडा में रहने वाले भारतीयों में हड़कम्प मच गया और इस चावल की खरीद के लिए वहां दुकानों पर उसकी भीड़ उमड़ने लगी।
यद्यपि वहां अन्य देशों से आयातित चावल का स्टॉक रिटेल आउटलेट्स में उपलब्ध है लेकिन दक्षिण भारतीय लोगों को सोना मसूरी चावल ही पसंद आता है। खरीदारों की भीड़ के कारण वहां इसका दाम भी तेज होने लगा है।