iGrain India - जीरा कीमतों में गिरावट मगर अधिक मंदे की संभावना नहीं
नई दिल्ली। चालू सप्ताह के दौरान जीरा की कीमतों में गिरावट रही। हालांकि सप्ताह के अंत में बाजार मजबूत रहे लेकिन कुल मिलाकर बाजार पूर्व सप्ताह की तुलना में दबे रहे। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात की उंझा मंडी बिल्डिंग कानून को लेकर नगर निगम के साथ विवाद होने के कारण 4 दिन तक बंद रही। अन्य मंडियों में व्यापार सुचारु रूप से हुआ।
आयात
भारतीय बाजारों में जीरा की कीमते रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने के कारण गत दिनों आयातकों ने चीनी से जीरा आयात के 200/250 कंटेनर के सौदे 5600/5800 डॉलर प्रति टन पर किए थे। जिनकी डिलीवरी अगस्त माह में शुरू होने के समाचार है। चीन का जीरा भारतीय जीरे की तुलना में लगभग 1000/1200 डॉलर सस्ता है। क्योंकि चीन की क्वालिटी भारतीय के मुकाबले हल्की होती है।
कीमतों में गिरावट
चालू सप्ताह के दौरान जीरा की कीमतों में गिरावट रही। क्योंकि आयात के समाचारों से एक ओर जहां लोकल मांग कम रही वहीँ दूसरी तरफ निर्यातकों की लिवाली भी बाजार में नहीं देखी गई है। सूत्रों का कहना है कि अभी जीरा बाजार में अधिक तेजी की संभावना नहीं है। मगर अगस्त के पश्चात कीमतों में फिर से तेजी का दौर शुरू हो जाएगा। चालू सप्ताह के दौरान कमजोर मांग के चलते जीरे के भाव 8/10 रुपए प्रति किलो तक घट गए थे जोकि सप्ताह के अंत में 2/3 रुपए सुधर गए। बाजार सूत्रों का मानना है कि हाजिर में स्टॉक की कमी के चलते आगामी दिनों में जीरे के भाव फिर से बढ़ने शुरू हो जायेंगे।
वायदा बाजार
चालू सपताह के दौरान वायदा बाजार में जीरे के भाव मंदे-तेजी के साथ बोले गए। उल्लेखनीय है कि सप्ताह के शुरू में अगस्त माह का जीरा 60000 रुपए खुला था जोकि गुरुवार को नीचे में 58360 रुपए बन गया था मगर शुक्रवार का भाव 59520 रुपए पर बंद हुआ। सितम्बर माह का जीरा भी 61595 रुपए खुलने के पश्चात सप्ताह के मध्य में 58605 रुपए नीचे में बन गया था जोकि शुक्रवार को 60005 रुपए पर बंद हुआ।
अनुकूल मौसम
रिकॉर्ड कीमतें एवं वर्तमान में उत्पादक राज्य गुजरात एवं राजस्थान में हो रही अच्छी बारिश के चलते आगामी सीजन के लिए उत्पादक केन्द्रों पर जीरे की बिजाई अवश्य ही बढ़ेगी। अनुमान व्यक्त किया जा रहा है कि उत्पादक केन्द्रों पर आगामी सीजन के लिए जीरे की बिजाई 2/3 गुना अधिक रहेगी। जीरे की बिजाई मुख्यत अक्टूबर-नवम्बर माह में होती है। और नए मालों की आवक जनवरी माह में गुजरात एवं मार्च-अप्रैल में राजस्थान में शुरू हो जाती है।
स्टॉक कम
सूत्रों का कहना है कि चालू सीजन के दौरान देश में जीरे का उत्पादन गत वर्ष के बराबर होने के कारण वर्तमान में स्टॉक कम रह गया है। माना जा रहा है कि किसानों एवं व्यापारियों के पास जीरे का स्टॉक 15/20 लाख बोरी के आसपास होगा। जोकि नई फसल आने तक पर्याप्त नहीं है। क्योंकि नई फसल आने में अभी तकरीबन 5/6 माह का समय शेष है। आमतौर पर हमारी प्रतिमाह खपत लगभग 5 लाख बोरी के आसपास होती है।
तेजी की संभावना
सूत्रों का मानना है कि अगस्त माह में आयातित माल की आवक एवं निर्यातकों की लिवाली न होने के कारण कीमते एक सीमित दायरे में बनी रहेंगी। लेकिन सितम्बर-अक्टूबर माह में कीमतों में तेजी देखी जा सकती है। वर्तमान में जीरे की कीमते गत वर्ष की तुलना में लगभग ढाई-तीन गुना अधिक चल रही है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जुलाई माह के अंत में ऊंझा मंडी में जीरे का भाव 195/220 रुपए प्रति किलो चल रहा था जोकि वर्तमान में 520/600 रुपए प्रति किलो तक बोला जा रहा है।
निर्यात
वर्ष 2023-24 के दौरान जीरे के निर्यात में गिरावट आने की संभावना है हालांकि शुरूआती दो माह अप्रैल-मई माह में जीरे का निर्यात बढ़ा है लेकिन कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने एवं चीन, टर्की-सीरिया में नए जीरे की आवक शुरू हो जाने से जून-जुलाई माह में निर्यात गत वर्ष की तुलना में कम रहने के समाचार है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चालू सीजन अप्रैल-मई के दौरान जीरे का निर्यात 42988.50 टन का रहा है जबकि गत वर्ष इसी समयावधि में निर्यात 25603 टन का हुआ था। वर्ष 2022-23 में जीरे का कुल निर्यात 186508.79 टन का रहा।