iGrain India - मुम्बई । भारत से जीरा के निर्यात की गति जून से ही धीमी देखी जा रही है जबकि आगामी समय के दौरान शिपमेंट में और भी गिरावट आने की संभावना है क्योंकि सीरिया, तुर्की तथा ईरान जैसे निर्यातक देशों में नई फसल की आवक बढ़ने लगी है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टैक होल्डर्स (फिस्स) के संस्थापक चेयरमैन का कहना है कि यद्यपि भारत जीरा का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देश है लेकिन चालू वर्ष के दौरान इसे विदेशों से इसका आयात बढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
पिछले डेढ़ महीने से भारतीय जीरे का निर्यात प्रदर्शन इसलिए कमजोर चल रहा है क्योंकि इसका भाव काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। अगले-तीन चार महीनों तक निर्यात की गति तेज होने की संभावना नहीं है।
सीरिया-तुर्की में नई फसल की कटाई-तैयारी शुरू होने से पूर्व भारत वैश्विक बाजार में जीरा का एक मात्र प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश बना हुआ था इसलिए ऊंचे दाम के बावजूद विदेशी आयातक इसकी खरीद के लिए विवश हो रहे थे। लेकिन अब खरीदारों के सामने नए विकल्प आ गए हैं इसलिए भारतीय जीरे के प्रति उसका आकर्षण घटता जा रहा है।
अप्रैल-मई 2023 के दौरान भारत से जीरा का निर्यात बढ़कर 405 लाख किलो पर पहुंच गया जो पिछले साल के इन्हीं महीनों में 230 लाख किलो रहा था। लेकिन जून से इसकी मात्रा घटने लगी। उधर सीरिया, तुर्की एवं ईरान से भारतीय बंदरगाहों पर जीरा का शिपमेंट धड़ल्ले से होने लगा है।
समझा जाता है कि भारत ने इन देशों को 300-400 कंटेनरों में जीरा के आयात का आर्डर दिया है जबकि प्रत्येक कंटेनर 25 टन का होता है। समझा जाता है कि पिछले तीन सप्ताहों के दौरान इसमें से 30-40 कंटेनर जीरा भारत में पहुंच गया। लेकिन अब इन देशों में भी जीरा का भाव बढ़ने लगा है इसलिए कुछ भारतीय खरीदार अपने आर्डर को कैंसिल कर सकते हैं।
चेयरमैन के मुताबिक यद्यपि भारत में जीरा का आयात बढ़ने लगा है और भारतीय माल के निर्यात में कमी आने लगी है मगर इस महत्वपूर्ण मसाले के दाम में ज्यादा गिरावट आने की संभावना नहीं है।
इसका कारण यह है कि अभी जो 25-30 लाख बोरी जीरा का स्टॉक मौजूद है वह मजबूत हाथों में यानी बड़े-बड़े उत्पादकों एवं स्टॉकिस्टों के पास है। अब तक उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ है इसलिए वे आगे दाम बढ़ने की उम्मीद से इसका स्टॉक पकड़ कर रख सकते हैं।
गुजरात की ऊंझा मंडी में गत वर्ष के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान जीरा का भाव करीब तीन गुणा बढ़कर अब 57,500/60,000 रुपए प्रति क्विंटल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
फेडरेशन के अनुसार 2022-23 सीजन के दौरान जीरा का उत्पादन घटकर 50-55 लाख बोरी (55 किलो प्रत्येक बोरी) पर सिमट जाने का अनुमान है जबकि इसकी कुल मांग 80 लाख बोरी की रहती है।