iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि जून-जुलाई में कई सप्ताहों तक खरीफ कालीन मोटे अनाजों का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से आगे चल रहा था मगर 4 अगस्त वाले सप्ताह में यह 77 हजार हेक्टेयर पीछे रह गया।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 4 अगस्त 2022 तक मोटे अनाजों का कुल बिजाई क्षेत्र 161.15 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था जो 4 अगस्त 2023 को गिरकर 160.38 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान देश में ज्वार का उत्पादन क्षेत्र 13.22 लाख हेक्टेयर से गिरकर 12.78 लाख हेक्येटर तथा मक्का का बिजाई क्षेत्र 75.10 लाख हेक्येटर से घटकर 74.56 लाख हेक्येटर रह गया लेकिन बाजरा का क्षेत्रफल 65.95 लाख हेक्येटर से सुधरकर 65.99 लाख हेक्येटर तथा रागी का रकबा 3.66 लाख हेक्येटर से बढ़कर 3.97 लाख हेक्येटर पर पहुंच गया।
अन्य मोटे अनाजों की बिजाई पिछले साल 3.22 लाख हेक्येटर क्षेत्र में हुई थी जो चालू खरीफ सीजन में फिसलकर 3.07 लाख हेक्येटर पर अटक गई।
यद्यपि केन्द्र सरकार स्मॉल मिलेट्स की खेती को बढ़ावा दे रही है और अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष में इसका उत्पादन अधिक से अधिक बढ़ाने का हर संभव प्रयास भी कर रही है मगर बिजाई के आंकड़ों से इस दावे की पुष्टि नहीं हो रही है।
एक समीक्षक का कहना है कि राजस्थान एवं गुजरात में बारिश का दौर जारी रहने तक किसानों ने बाजरा की खेती में भरपूर दिलचस्पी दिखाई और कर्नाटक, गुजरात तथा महाराष्ट्र में ज्वार की बिजाई अच्छी हो रही थी लेकिन बाद में कृषक समुदाय द्वारा अन्य खरीफ फसलों पर ज्यादा ध्यान दिए जाने से ज्वार एवं मक्का की बिजाई में ठहराव आ गया और फिर यह गत वर्ष से पीछे हो गया।
वैसे बिजाई क्षेत्र में ज्यादा गिरावट नहीं आई है इसलिए मौसम आगे अनुकूल होने पर इसके कुल उत्पादन में शायद कमी नहीं आएगी और यह काफी हद तक गत वर्ष के बराबर रह सकता है।