iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान मूंगफली, सूरजमुखी तथा तिल का रकबा कुछ पिछड़ रहा है लेकिन सोयाबीन एवं अरंडी के क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होने से तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 4.45 लाख हेक्टेयर आगे निकल गया है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 4 अगस्त तक इसका कुल बिजाई क्षेत्र 175.10 लाख हेक्टेयर रहा था जो चालू वर्ष की समान अवधि में बढ़कर 179.55 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
खरीफ सीजन में सोयाबीन एवं मूंगफली की खेती सबसे अधिक क्षेत्रफल में होती है। इसके बाद तिल, अरंडी एवं सूरजमुखी का नम्बर रहता है। अन्य तिलहन फसलों की बिजाई बहुत कम क्षेत्र में होती है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र 41.26 लाख हेक्टेयर से गिरकर 41.14 लाख हेक्टेयर, तिल का बिजाई क्षेत्र 11.17 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 11.04 लाख हेक्टेयर तथा सूरजमुखी का क्षेत्रफल 1.76 लाख हेक्टेयर से घटकर 59 हजार हेक्टेयर पर अटक गया है जबकि दूसरी ओर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 117.63 लाख हेक्टेयर से उछलकर 122.39 लाख हेक्टेयर तथा अरंडी का रकबा 2.89 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.12 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। अन्य तिलहन फसलों की बिजाई केवल 9 हजार हेक्टेयर में हुई है जो गत वर्ष के 14 हजार हेक्टेयर से कम है।
देश में गुजरात मूंगफली तथा अरंडी का और मध्य प्रदेश सोयाबीन का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है। महाराष्ट्र सोयाबीन के उत्पादन में दूसरे नम्बर पर है।
सरकार ने महाराष्ट्र में सोयाबीन के बिजाई क्षेत्र का जो आंकड़ा प्रस्तुत किया है उससे उद्योग-व्यापार क्षेत्र संतुष्ट नहीं है। राजस्थान में तिलहन फसलों की अच्छी बिजाई हुई है क्योंकि वहां मध्य जून के बाद से ही बारिश काफी अच्छी हो रही है। गुजरात एवं राजस्थान में कहीं-कहीं बाढ़-वर्षा से फसल प्रभावित होने की सूचना है।