iGrain India - नई दिल्ली । इवपा द्वारा 4-5 अगस्त 2023 को आयोजित ग्लोबल वैजिटेबल ऑयल राउण्ड टेबल कांफ्रेंस में एक विशेषज्ञ ने कहा कि तिलहन उत्पादकों को लाभप्रद मूल्य सुनिश्चित करना सभी सम्बद्ध पक्षों का दायित्व है क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य में तिलहन की खेती के प्रति उसका उत्साह एवं आकर्षक घट सकता है और विदेशी खाद्य तेलों के आयात पर भारत की निर्भरता और बढ़ जाएगी।
इसके साथ-साथ आम उपभोक्ताओं के हितों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। सरकार को दोनों के हितोँ में सामंजस्य बनाए रखने के लिए कुछ नए उपाय करने चाहिए।
विश्लेषक का कहना था कि 2022-23 के रबी सीजन में सरसों का रिकॉर्ड घरेलू उत्पादन हुआ लेकिन सरकारी खरीद में देरी होने में इसकी कीमत घटकर न्यूतनम समर्थन मूल्य से भी काफी नीचे आ गई। इससे किसानों को नुकसान हुआ।
सरकार को खाद्य तेलों पर आयात शुल्क के ढांचे को लचीला एवं व्यावहारिक बनाना चाहिए। जब वैश्विक बाजार भाव ऊंचा हो तब आयात शुल्क घटाना चाहिए और जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव नीचे हो तब सीमा शुल्क में बढ़ोत्तरी करनी चाहिए।
एक अन्य विश्लेषक ने कहा कि कोरोना महामारी का प्रकोप घटने के बाद देश में खाद्य तेलों की मांग एवं खपत बढ़ी है। अमरीका सरकार अपने कृषि एवं उद्योग क्षेत्र को तमाम सहायता के जरिए प्रोत्साहित कर रही है।
ब्राजील की कठिन प्रतिस्पर्धा के कारण जब सोयाबीन का निर्यात प्रभावित होने लगा तब वहां बायोडीजल एवं अन्य उद्योगों में इसका इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया गया।
भारत में खाद्य तेलों की स्थिति के बारे में चर्चा करते हुए पतंजलि फूड्स के आकाश आचार्य ने कहा कि देश में 2022-23 के दौरान सभी खाद्य तेलों का भाव नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था।
मगर फिर घटकर काफी नीचे आ गया। उधर अर्जेन्टीना में सोयाबीन का उत्पादन काफी घट गया जबकि भारत में सूरजमुखी तेल का रिकॉर्ड आयात हुआ।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण गत वर्ष इसका आयात प्रभावित हुआ था और अब एक बार फिर आयात में बाधा पड़ने की संभावना है। दोनों देशों के पास सूरजमुखी का अच्छा खासा स्टॉक मौजूद है।